मंगलवार से SIR के लिए एम्यूनिरेशन फॉर्म भरने का काम शुरू हो जाएगा। उससे पहले राज्य के अलग-अलग हिस्सों में मतदाता सूची से बाहर होने के डर से आत्महत्या की घटनाएं सामने आ रही हैं। राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी का दावा है कि कूचबिहार के दिनहाटा से लेकर वीरभूम के इलमबाजार और उत्तर 24 परगना के पानीहाटी तक SIR की दहशत से ही लोगों की मौत हुई है। इस बीच हुगली के रिसड़ा नगर पालिका के वार्ड नंबर 4 के पार्षद साकिर अली भी SIR की चिंता से बीमार पड़ गए।
आरामबाग के पूर्व सांसद और पार्षद शाकिब सोमवार को अचानक बीमार पड़ गए। उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जहां उनका इलाज चल रहा है। क्या उनका या उनके परिवार का नाम 2002 की मतदाता सूची में नहीं है? नहीं, ऐसा नहीं है। पार्षद का दावा है कि उनके इलाके में बहुत से झुग्गी-झोपड़ियां हैं। हर दिन बहुत से लोग उनके पास तरह-तरह के दस्तावेज बनवाने आते हैं। कोई जन्म प्रमाण पत्र बनवाने आता है, कोई अपने रिश्तेदारों के मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने आता है। सबको समझाने की कोशिश करते-करते उनकी तबीयत बिगड़ गई।
पार्षद का कहना है कि बड़ी संख्या में लोगों के आने से काम का दबाव भी बहुत बढ़ गया है। समझ में नहीं आ रहा कि किसको कौन सा दस्तावेज और कौन-सा हिसाब-किताब दूं। चुनाव आयोग खुद तय नहीं कर पा रहा है। तृणमूल पार्षद ने भाजपा पर भी आरोप लगाया कि भाजपा बहुत से लोगों को डरा रही है। खासकर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को डराया जा रहा है। हम समझते हैं कि उन पर कितना दबाव है। भाजपा SIR के साथ जो राजनीति कर रही है, वह ठीक नहीं है।
हालांकि, स्थानीय भाजपा नेताओं ने तृणमूल पार्षद के बीमार पड़ने की घटना पर कटाक्ष किया है। भाजपा राज्य समिति के सदस्य स्वप्न पाल का कहना है कि यह सब नाटक है। SIR भारत के 12 राज्यों में हो रहा है। वहां तो कोई बीमार नहीं पड़ रहा लेकिन यहाां तृणमूल नेता और पार्षद बीमार पड़ रहे हैं। रिसड़ा नगर पालिका के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के शाकिर अली का 36 का आंकड़ा है। इसलिए लोगों का ध्यान भटकाने और प्रचार पाने के लिए वह यह सब नाटक कर रहे हैं।