अलकनंदा नदी के बीचोंबीच बना धारी देवी का मंदिर (Dhari Devi Temple), एक ऐसी जगह है जिसके बारे में कहा जाता है कि वह चारों धाम की रक्षक देवी हैं।
देवभूमि उत्तराखंड में कई ऐसे मंदिर हैं, जहां के बारे में कहा जाता है कि वहां दर्शन मात्र से न सिर्फ जीवन के सारे कष्टों का निवारण होता है बल्कि सभी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं। अलकनंदा नदी के बीचोंबीच बना धारी देवी का मंदिर (Dhari Devi Temple), एक ऐसी जगह है जिसके बारे में कहा जाता है कि वह चारों धाम की रक्षक देवी हैं। क्या आप जानते हैं, धारी देवी एक ऐसी देवी हैं, जिन्होंने अपने स्थान से हटने से ही इनकार कर दिया था।
मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां दर्शन किए बिना चार धाम यात्रा को सफल नहीं माना जाता है। लेकिन जब उन्हें जबर्दस्ती अपने स्थान से हटाया गया तो केदारघाटी में तबाही मच गयी थी।
क्यों हटायी गयी धारी देवी?
धारी देवी का मंदिर श्रीनगर से करीब 13 किमी की दूरी पर अलकनंदा नदी के बीच में मौजूद है। श्रीनगर जल विद्युत परियोजना की वजह से यह क्षेत्र पानी में डूबता जा रहा था। कहा जाता है कि यह मंदिर उस क्षेत्र में बना हुआ है जो विद्युत परियोजना की वजह से डूबने वाला था।
इस कारण परियोजना की निर्माणकारी कंपनी ने धारी देवी मंदिर से प्रतिमा को ऊपर उठाने का फैसला लिया। हालांकि गढ़वाल क्षेत्र के लोगों ने इसका विरोध किया था और विनाश की आशंका भी जतायी थी। लेकिन कंपनी के अधिकारियों ने धारी देवी की प्रतिमा को ऊपर उठा ही दिया।
मच गयी तबाही
दावा किया जाता है कि कंपनी ने यह काम 16 जून 2013 को किया और उसी दिन बादल फटने और उसके बाद आए विनाशकारी बाढ़ ने केदारघाटी में जल प्रलय ला दिया था। इस घटना में सैंकड़ों की संख्या में स्थानीय लोगों समेत श्रद्धालुओं की मौत हो गयी थी। कई गांव पूरी तरह से नष्ट हो गये। इस घटना को गढ़वाल क्षेत्र के लोग धारी देवी का प्रकोप मानते हैं।
धारी देवी मंदिर में देवी की प्रतिमा के बारे में मान्यता है कि यह दिन में तीन बार अपना स्वरूप बदल लेती है। सुबह के समय देवी की प्रतिमा किसी छोटी बच्ची जैसी नजर आती है। दिन में यह प्रतिमा किसी युवती की और शाम के बाद प्रतिमा को देखकर लगता है कि वह किसी वृद्धा की मूर्ति है।