इस साल गणेशोत्सव का समापन 6 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन हो रहा है। अब तक आपने सोशल मीडिया पर मायानगरी मुंबई समेत देश के कई और हिस्सों में भगवान गजानन की मनमोहक प्रतिमाओं की तस्वीरें जरूर देखी होंगी। लेकिन क्या आपने कभी भगवान गणेश (Lord Ganesha) का ऐसा कोई मंदिर देखा है, जहां बिना सिर वाले भगवान की पूजा की जाती है? यह मंदिर मौजूद है देवभूमि उत्तराखंड में। पर क्यों होता है ऐसा?
कहां मौजूद है यह मंदिर?
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में मौजूद है मुंडकटिया गणेश जी का मंदिर, जहां बिना सिर वाले भगवान गणपति के दर्शन और पूजा करने के लिए दूर-दूर से लोग आते रहते हैं। दावा किया जाता है कि यह दुनिया का एकमात्र मंदिर है जहां बिना सिर वाले भगवान गणेश की पूजा होती है।
यह मंदिर त्रियुगी नारायण मंदिर के काफी पास बताया जाता है, जो केदार घाटी में सोनप्रयाग से मात्र 3 किमी की दूरी पर गौरीकुंड के पास स्थित है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार यह वहीं स्थान है, जहां भगवान शिव ने अपने त्रिशुल के प्रहार से गणेश जी का सिर उनके धड़ से अलग कर दिया था।
कहा जाता है कि इसी स्थान पर महादेव ने गणेश जी के धड़ पर हाथी का सिर लगाकर उन्हें फिर से जीवित किया था। इस मंदिर में भगवान गणेश के इस अनोखे स्वरूप पर दर्शन करने के लिए देश के दूर-दराज के इलाकों से भी लोग आते रहते हैं।