समाचार एई समय। अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में मंगलवार को हुए ध्वजारोहण कार्यक्रम को लेकर सियासत तेज हो गई है। फ़ैज़ाबाद से समाजवादी पार्टी (एसपी) सांसद अवधेश प्रसाद ने दावा किया है कि उन्हें इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित नहीं किया गया और इसका कारण उनका दलित होना है। वहीं भाजपा ने इन आरोपों को पूरी तरह राजनीतिक करार दिया है।
मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल सहित हजारों संतों, आदिवासी प्रतिनिधियों और भक्तों की मौजूदगी में राम मंदिर के शिखर पर “धर्म ध्वज” फहराया।
अवधेश प्रसाद ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर लिखा, “यदि मुझे रामलला के दरबार में ध्वजारोहण समारोह में इसलिए नहीं बुलाया गया क्योंकि मैं दलित समुदाय से आता हूं, तो यह राम की मर्यादा नहीं बल्कि किसी की संकीर्ण सोच है। राम सबके हैं। मेरा संघर्ष पद या निमंत्रण के लिए नहीं, सम्मान, समानता और संविधान के लिए है।”
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने सोमवार को भी कहा था कि उन्हें अभी तक आमंत्रण पत्र नहीं मिला है। “निमंत्रण मिला तो मैं सब कुछ छोड़कर नंगे पांव चला जाऊंगा।”
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने भी प्रसाद का समर्थन करते हुए कहा कि स्थानीय सांसद को प्रधानमंत्री के कार्यक्रम से बाहर रखना “दुर्भाग्यपूर्ण” है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रसाद की दलित पहचान इसकी वजह हो सकती है।
भाजपा ने इन आरोपों का कड़ा विरोध किया है। पार्टी प्रवक्ता हरीशचंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि एसपी सांसद के आरोप “निराधार, भ्रामक और पूरी तरह राजनीतिक” हैं। उन्होंने कहा, “अगर अयोध्या के सांसद के मन में भगवान राम के लिए वास्तविक भक्ति होती तो वे प्रधानमंत्री द्वारा ध्वज फहराने के कार्यक्रम में जनता के साथ शामिल होते।”
श्रीवास्तव ने एसपी पर “एंटी-राम मंदिर स्टैंड” रखने का भी आरोप लगाया और कहा कि पार्टी के नेता अब तक मंदिर नहीं पहुंचे, जबकि निर्माण शुरू होने के बाद से 45 करोड़ से अधिक भक्त अयोध्या आ चुके हैं।
ग़ौरतलब है कि 2024 लोकसभा चुनाव में अवधेश प्रसाद ने भाजपा के दो बार के सांसद और राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरा रहे लल्लू सिंह को हराकर उनका हैट्रिक बनाने का सपना तोड़ दिया था।