उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में दीपोत्सव पर 50,000 वर्ग फीट की रंगोली

दिवाली के अवसर पर रंगोली बनाने की परंपरा है का सम्बंध देवी लक्ष्मी के स्वागत और सकारात्मक ऊर्जा लाने और नकारात्मकता को दूर करने की इच्छा से जुड़ी हुई है।

By डॉ अभिज्ञात

Oct 19, 2025 16:50 IST

उज्जैनः मध्यप्रदेश के कलाकारों ने इस बार भी बेहद कलात्मक तरीके से दीपावली मनाने की तैयारी की है। उज्जैन स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर में दीपोत्सव से पहले लगभग 50,000 वर्ग फीट की एक विशाल रंगोली वे बना रहे हैं। रंगोली अपनी जटिल कलाकृति और जीवंत रंगों की वजह से यह श्रद्धालुओं और आगंतुकों के आकर्षण का केंद्र बन गई है।

कलाकारों की भावना और अनुभव

रंगोली कलाकार नंदिनी प्रजापति ने इस अवसर को लेकर अपनी खुशी व्यक्त की। उन्होंने एएनआई से कहा कि हमें बाबा महाकाल के प्रांगण में रंगोली बनाने का अवसर मिला, इसके लिए हम खुद को वास्तव में धन्य मानते हैं। यहां पर सभी बहुत प्रसन्न हैं। हमें यहां दो दिन रुकने का भी मौका मिला... इस रंगोली को पूरा करने में हमें दो दिन और दो रात लगे। एक अन्य कलाकार चांदनी ने अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि हमने बाबा महाकाल के लिए एक रंगोली डिज़ाइन की है और यहां एक सुंदर पैटर्न प्रदर्शित किया है। हम पिछले दो वर्षों से यहां रंगोली बना रहे हैं। हम पिछले दो दिन और दो रातों से इस पर काम कर रहे हैं और यह रंगोली आज पूरी होने वाली है।

परंपरागत डिजाइनों और रंगों का उपयोग

यह रंगोली परंपरागत डिजाइनों और चमकीले रंगों का उपयोग करके बनाई गई है। यह मंदिर में दीपोत्सव के भव्य उत्सव की तैयारियों का एक हिस्सा है।

रंगोली बनाने की परम्परा का कारण

मालूम हो कि दिवाली के अवसर पर रंगोली बनाने की परंपरा है का सम्बंध देवी लक्ष्मी के स्वागत और सकारात्मक ऊर्जा लाने और नकारात्मकता को दूर करने की इच्छा से जुड़ी हुई है। रंगोली घर में शुभता और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम के अयोध्या लौटने पर लोगों ने रंगोली और दीपों से उनका स्वागत किया था।

दीपावली का पौराणिक महत्व

दीपावली का त्योहार भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने और रावण पर विजय प्राप्त करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। राम की विजय और अयोध्या वापसी की खुशी में अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर और मिठाइयां बांटकर इस दिन को उत्सव के रूप में मनाया। दीपावली अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक मानी जाती है। लोग इस पर्व पर घर और मन की शुद्धि करते हैं।

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