अज्ञात असामाजिक तत्वों ने मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में उप-मंडल अधिकारी/ब्लॉक विकास अधिकारी (SDO/BDO) कार्यालय में आग लगा दी। यह घटना सोमवार रात करीब 9 बजे हुई, जिसमें आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों (IDPs) से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज़ और डेटा नष्ट हो गए।
चुराचांदपुर पुलिस और मणिपुर अग्निशमन सेवा के कर्मी मौके पर पहुंचे और आग पर काबू पाया, लेकिन IDP रिकॉर्ड रखने वाला कमरा पूरी तरह जल गया, जिसमें कंप्यूटर सिस्टम और फाइलें भी शामिल हैं। एक पुलिस अधिकारी ने गुमनामी की शर्त पर मीडिया को बताया कि घटना के समय कार्यालय व इस कार्यालय में विस्थापित व्यक्तियों के राशन के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) भुगतान की प्रक्रिया चल रही थी।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आग लगते ही दो अज्ञात व्यक्तियों को इमारत से भागते देखा गया। मौके पर कांच की खिड़कियां टूटी हुई पाई गईं। चुराचांदपुर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कर लिया गया है। अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है और कोई हताहत नहीं हुआ है। यह हमला मणिपुर में चल रहे जातीय तनाव के बीच हुआ है, जो 3 मई 2023 को भड़का था, जिसमें 260 से अधिक लोगों की जान गई और 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए।
राज्य 13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन के अधीन है और विधानसभा निलंबित है। मणिपुर सरकार ने दिसंबर 2025 तक चरणबद्ध तरीके से IDP पुनर्वास पूरा करने का वादा किया था, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक पुनर्स्थापन शुरू नहीं हुआ है। रिपोर्ट्स के अनुसार, मणिपुर में हिंसा भड़कने के दिन कम से कम 9 वन कार्यालयों में तोड़फोड़ की गई और उन्हें आग लगा दी गई, जिनमें कार्यालय के अंदर सरकारी रिकॉर्ड को निशाना बनाया गया।
वन बीट कार्यालय में आग लगाने की पहली घटना चुराचांदपुर जिले के बुंगमौल गांव में हुई थी। 15 फरवरी 2024 को भीड़ ने चुराचांदपुर में जिला पुलिस स्टेशन, मिनी सेक्रेटेरिएट और DC कार्यालय को लूटा और जला दिया। इसी तरह की एक घटना 3 जनवरी 2025 को पड़ोसी कांगपोकपी जिले के उपायुक्त कार्यालय में हुई। चुराचांदपुर और कांगपोकपी दोनों कुकी-बहुल क्षेत्र हैं।