दिल्ली में लाल किले के पास मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर1 के पास खड़ी एक कार में जोरदार धमाका हुआ। इस घटना से पूरा इलाका दहल गया, साथ ही 20 साल पुराना वो मंजर भी आंखों के सामने छा गया जब देश की राजधानी में अलग-अलग इलाकों में एक के बाद एक तीन धमाके हुए थे।
देश की राजधानी दिल्ली एक बार फिर धमाकों से दहल उठी है। ये घटना लाल किले के पास मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर1 के पास हुई है। यहां खड़ी कार में जोरदार धमाका हुआ, जिससे पूरे इलाके में हड़कंप मच गया है। बता दें कि धमाका होते ही कार में भीषण आग लग गई। इतना ही नहीं इसने पास खड़ी दो और कारों को अपनी जद में ले लिया। इस जोरदार धमाके में अब तक 8 लोगों की मौत होने की जानकारी मिली है। हादसे में कई लोग घायल हुए हैं. जिन्हें एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
इधर घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीमें मौके पर पहुंच गई हैं। दिल्ली में सोमवार को हुई इस घटना ने 20 साल पहले के दिल्ली सीरियल ब्लास्ट के दर्द को उकेर दिया है जब एक साथ कई बम धमाकों ने 60 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना से राजधानी में हड़कंप मच गया है।
29 अक्टूबर 2005
29 अक्टूबर 2005 - दीपावली बस आने ही वाली थी। दिल्ली के बाजारों में आम दिनों से भी ज्यादा रौनक थी। सरोजिनी नगर, पहाड़गंज, करोल बाग और अन्य बाजारों में लोग नए कपड़े, सजावट की चीजें और मिठाइयां खरीदने में व्यस्त थे। धनतेरस भी उसी दिन था, इसलिए हर दुकान पर भीड़ उमड़ रही थी। चेहरों पर मुस्कान थी, घरों में खुशियों की तैयारी चल रही थी और पूरी दिल्ली उत्साह से जगमगा रही थी लेकिन किसी को नहीं पता था कि कुछ ही देर में यह खुशियों से भरा दिन एक दर्दनाक याद में बदल जाएगा।
पहला धमाका
स्थान : पहाड़गंज, नेहरू मार्केट
समय : शाम 5 बजकर 38 मिनट
शाम करीब 5 बजकर 38 मिनट पर पहले धमाके की आवाज ने राजधानी की धड़कनें थाम दीं। पहाड़गंज की भीड़भाड़ वाली नेहरू मार्केट में अचानक जोरदार विस्फोट हुआ। वहां खड़े लोग, दुकानदार, ग्राहकों की चीखें चारों तरफ फैल गईं। दुकानों के शीशे चकनाचूर हो गए, सड़क पर अफरातफरी मच गई। त्योहार की हलचल अचानक दहशत में बदल गई।
दूसरा धमाका
स्थान : डीटीसी बस में दूसरा विस्फोट
समय : 5 बजकर 52 मिनट
पहले धमाके के कुछ मिनट बाद ओखला-गोविंदपुरी क्षेत्र में बाहरी मुद्रिका की एक डीटीसी बस में दूसरा विस्फोट हुआ। बस में करीब 50 लोग थे। बस के कंडक्टर को सीट के नीचे एक संदिग्ध बैग दिखाई दिया। उसने तुरंत ड्राइवर को सावधान किया। ड्राइवर कुलदीप सिंह ने अपनी जान जोखिम में डालते हुए बैग को बाहर फेंकने की कोशिश की। उसी दौरान धमाका हो गया।
विस्फोट में कुलदीप गंभीर रूप से झुलस गए और उनकी एक आंख की रोशनी चली गई, लेकिन उनकी बहादुरी की वजह से कई लोग उस दिन मौत के मुंह में जाने से बच गए। त्योहार की शाम पर यह घटना लोगों को भीतर तक हिला देने वाली थी।
तीसरा धमाका
स्थान : सरोजिनी नगर
समय : 5 बजकर 56 मिनट
सिर्फ चार मिनट बाद शाम 5:56 बजे सरोजिनी नगर में तीसरा और सबसे विनाशकारी धमाका हुआ। यह जगह त्योहार के समय दिल्ली की सबसे भीड़भाड़ वाली मार्केट मानी जाती है। जूस और चाट की दुकानों के पास छोड़ा गया एक बैग अचानक फट गया। एक पल में आग भड़क उठी, दुकानों में अफरा-तफरी मच गई और मौजूद लोग चीखते-भागते दिखे। आसपास की इमारतों में दरारें पड़ गईं। धमाके से उठी आग ने गैस सिलेंडर को अपनी चपेट में ले लिया, जिससे आग और फैल गई।
इस बाजार में अकेले 37 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। घायलों को सफदरजंग और एम्स अस्पताल ले जाया गया। सड़कों पर खून, टूटी दुकानें, रोते लोगवह मंजर आज भी यादों में कांप पैदा कर देता है।
कौन था इस वारदात को अंजाम देने वाला ?
जांच में सामने आया कि इन धमाकों को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने अंजाम दिया था। पांच लोगों पर मुकदमा चला। बाद में अदालत ने दो को बरी किया और एक को दोषी ठहराया गया। डीटीसी बस के बहादुर ड्राइवर कुलदीप सिंह ने कहा था कि उन्हें दो बातों का हमेशा अफसोस रहेगा, एक कि सभी दोषियों को सजा नहीं मिली और दूसरा, वह अपने बच्चे का चेहरा पैदा होते वक्त नहीं देख सके, क्योंकि वह उस समय अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच थे।
आज भी याद आते हैं वो चीखते चेहरे
दिल्ली में रहने वाले लोग आज भी उस शाम को याद करके सिहर उठते हैं। दीपावली जो खुशी और रोशनी का त्योहार है, उस साल कई घरों में अंधेरा और मातम लाया। जिन परिवारों ने अपने प्रियजनों को खोया, उनके लिए यह दिन हमेशा दर्द की याद लेकर लौटता है। 2005 की वह धनतेरस अब सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि आतंकवाद की वह काली छाया है, जिसने रोशनी के त्योहार को खून और चीखों की परछाई में डुबो दिया था।