दिल्ली के विस्फोट मामले में बड़ा मोड़। सोमवार शाम विस्फोट के बाद जांच जितना आगे बढ़ी, उतना ही यह घटना आत्मघाती कार बम हमले के रूप में मानी जा रही थी। हालांकि, एक खुफिया सूत्र के हवाले से एक राष्ट्रीय समाचार माध्यम की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मामले में संभवतः हमला करने का इरादा नहीं था। यहां तक कि पूरी तरह से तैयार कोई इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस या IED भी कार में नहीं थी। एक जगह से दूसरी जगह विस्फोटक ले जाते समय संभवत: दुर्घटनावश यह विस्फोट हुआ।
उस सूत्र का दावा है कि अब तक की जांच में मिले सुरागों के आधार पर जांचकर्ता यह मान रहे हैं कि सोमवार सुबह जम्मू और कश्मीर पुलिस के हाथ फरीदाबाद के आतंकवादी मॉड्यूल लगने के बाद डॉ. उमर नबी भाट घबरा गए थे। जिनके हाथ में फटाका में इस्तेमाल हुई सफेद हुंडई i-20 कार का स्टीयरिंग था, यह जांच में पता चला है। घटना की प्रारंभिक जांच के बाद माना जा रहा है कि इसके बाद घबराए डॉ. उमर कहीं और एक अधूरा IED ले जाकर उसे नष्ट करने या हटाने की कोशिश कर रहे थे। रास्ते में किसी तरह यह फट गया।
अधिकारियों का मानना है कि IED अपूर्ण क्यों था? सूत्र ने बताया कि जब विस्फोट हुआ, उस समय गाड़ी चल रही थी। पूरी तरह खड़ी नहीं थी। विस्फोट स्थल पर कोई गड्ढा नहीं बना। इसके अलावा कोई प्रक्षेप्य यानी विस्फोट से उत्पन्न उच्च-गति का कोई टुकड़ा या मलबा भी नहीं था। इसलिए यह माना जा रहा है कि डिवाइस में पूरी विस्फोटक क्षमता नहीं थी। वरना और बड़े पैमाने पर विस्फोट हो सकता था।विस्फोट के समय उस गाड़ी में संभवतः अमोनियम नाइट्रेट था। दिल्ली पुलिस ने बताया कि इस विस्फोट में अमोनियम नाइट्रेट के अलावा संभवतः ईंधन तेल और डेटोनेटर का इस्तेमाल किया गया था।
इस दिन दोपहर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में एक सुरक्षा संबंधी समीक्षा बैठक हुई। इसके तुरंत बाद इस मामले की जांच की जिम्मेदारी राष्ट्रीय जांच एजेंसी या NIA को सौंप दी गई। NIA देश की सबसे बड़ी आतंकवाद-संबंधी घटनाओं की जांच करने वाली संस्था है। NIA को इस मामले की जांच सौंपे जाने से संकेत स्पष्ट हैं: सरकार दिल्ली विस्फोट को एक आतंकवाद संबंधी घटना मान रही है।