पुणे: महाराष्ट्र में पुणे के मुंधवा क्षेत्र से जुड़े कई करोड़ रुपये के ज़मीन घोटाले के नए घटनाक्रम में पुलिस ने निलंबित सब-रजिस्ट्रार रविंद्र बालकृष्ण तारु को पुणे जिले के भोर शहर से गिरफ्तार किया है। एएनआई से बात करते हुए पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) विशाल गायकवाड़ ने कहा कि इस घोटाले से सरकार को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है।
डीसीपी ने बताया कि बावधन पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई थी। दस्तावेज़ों की जांच के बाद विवादित सेल डीड को रजिस्टर करने वाले सब-रजिस्ट्रार रविंद्र तारु को आज गिरफ्तार किया गया है। आगे की जांच जारी है। यह विवादित सेल डीड जिसने सरकार को नुकसान पहुंचाया उन्होंने ही अपनी आधिकारिक क्षमता में दर्ज की थी।
पुलिस ने पुष्टि की कि मामला सक्रिय जांच के अधीन है और आगे की जानकारी जांच के अनुसार साझा की जाएगी। यह कार्रवाई पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस कमिश्नरेट के अंतर्गत आने वाले बावधन पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर से संबंधित है। इस बीच रविवार को पुलिस ने कहा कि तारु की गिरफ्तारी अमैडिया एंटरप्राइज एलएलपी द्वारा किए गए एक उच्च-मूल्य की जमीन सौदे में अनियमितताओं से जुड़ी है।
अमैडिया एंटरप्राइज एलएलपी जांच के दायरे में तब आई जब पुणे के मुंधवा क्षेत्र में 43 एकड़ सरकारी जमीन की बिक्री में कई अनियमितताएं सामने आईं। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे, पार्थ पवार और दिग्विजय सिंह पाटिल इस फर्म में पार्टनर हैं।
पिछले महीने डिप्टी डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार संतोष अशोक हिंगणे ने शिकायत दर्ज कराई थी जिसमें आरोप था कि सर्वे नंबर 88, मुंधवा की जमीन की रजिस्ट्री में लगभग 6 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी की चोरी की गई। एफआईआर के अनुसार, तारु ने सह-आरोपी शीतल किशनचंद तेजवानी और दिग्विजय अमर सिंह पाटिल के साथ मिलकर जमीन की कीमत कम दिखाने और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में सरकारी रिकॉर्ड में हेरफेर करने की साजिश रची।
पिछले सप्ताह पुणे पुलिस की EOW (इकोनॉमिक ऑफेन्सेस विंग) ने बिल्डर शीतल तेजवानी को गिरफ्तार किया था। जांचकर्ताओं ने कहा कि उनके खिलाफ धोखाधड़ी से जुड़े पर्याप्त सबूत मिल चुके हैं। पुलिस ने बताया कि उन्होनें यह जमीन गलत तरीके से खरीदी थी और आगे और भी गिरफ्तारियां होने की संभावना है।
तेजवानी पर धोखाधड़ी, जालसाजी, आपराधिक साजिश और महाराष्ट्र स्टांप एक्ट के उल्लंघन से जुड़े आरोप लगाए गए हैं। उन्हें अदालत में पेश किया गया और 11 दिसंबर तक पुलिस हिरासत में भेजा गया। पूरे जमीन घोटाले के उजागर होने के बाद, 7 नवंबर को खडक पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया था जिसे बाद में आगे की जांच के लिए ईओडब्लू को सौंपा गया। लगभग ₹1800 करोड़ मूल्य की सरकारी जमीन केवल ₹300 करोड़ में और सिर्फ ₹500 की स्टांप ड्यूटी पर एक ऐसी कंपनी को बेची गई जो पार्थ पवार से जुड़ी बताई जा रही है।
यह 43 एकड़ सरकारी भूमि वर्तमान में बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया को लीज़ पर दी गई है। इसी जमीन को कथित तौर पर अमैडिया एंटरप्राइज एलएलपी को बेचा गया जिसमें पार्थ पवार पार्टनर हैं।
जांच अभी भी जारी है।