कुचल कर लोगों की मौत की घटना की निष्पक्ष जांच की मांग, विजय की TVK सुप्रीम कोर्ट पहुंची

करुर की जनसभा में कुचल कर 41 लोगों की मृत्यु हो गयी थी। विजय की ओर से दायर इस अर्जी में मद्रास हाईकोर्ट के 3 अक्टूबर के आदेश को चुनौती दी गई है।

By रिनिका राय चौधुरी, Posed by डॉ.अभिज्ञात

Oct 08, 2025 18:05 IST

करुरः तमिलगा वेत्री कझगम (TVK) की करुर की जनसभा में कुचल कर 41 लोगों की मृत्यु हो गयी थी। घटना की जांच के लिए टीवीके सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। मद्रास हाईकोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच दल की भूमिका पर सवाल उठाते हुए टीवीके ने एक स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की है।

वकील दीक्षिता गोहिल, प्रांजल अग्रवाल और यश एस द्वारा विजय की ओर से दायर इस अर्जी में मद्रास हाईकोर्ट के 3 अक्टूबर के आदेश को चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट ने उस आदेश में इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (IGP) के नेतृत्व में तमिलनाडु पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक SIT गठित करने का निर्देश दिया था।

टीवीके ने अपनी अर्जी में उल्लेख किया है कि मद्रास हाईकोर्ट ने खुद राज्य पुलिस की जांच की स्वतंत्रता पर सवाल उठाए थे, फिर भी हाईकोर्ट ने केवल राज्य पुलिस के अधिकारियों के साथ ही SIT गठित करने का निर्देश दिया है। उन्हें आशंका जतायी है कि यह टीवीके दल और उसके नेताओं के प्रति पक्षपातपूर्ण हो सकता है।

दल की ओर से दावा किया गया है कि इस दुखद घटना के पीछे दुष्कर्मियों की कोई पूर्व नियोजित साजिश थी या नहीं, यह सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की देखरेख में निष्पक्ष जांच आवश्यक है। टीवीके के अनुसार इस जांच में सभी तथ्यों और सबूतों की सही तरीके से जांच संभव होगी।

अर्जी में मद्रास हाईकोर्ट की कुछ टिप्पणियों की तीखी आलोचना की गई है। अर्जी में टीवीके ने कहा है कि उनके खिलाफ घटनास्थल से भागने और घायलों की मदद नहीं करने के आरोप लगे थे। टीवीके का दावा है कि ये टिप्पणियां गलत और भ्रामक हैं। पार्टी ने कहा कि भगदड़ की घटना की खबर मिलते ही दल के नेतृत्व और कार्यकर्ताओं ने तुरंत चिकित्सा व्यवस्था के साथ-साथ राहत पहुंचाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए थे।

उल्लेखनीय है कि इस दुर्घटना के बाद 3 अक्टूबर को मद्रास हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय और राज्य सड़कों पर किसी राजनीतिक समावेश या अन्य जनसमागम, रोड शो पर फिलहाल रोक लगा दी थी। अदालत ने कहा था कि राज्य सरकार की ओर से रोड शो या सभा जैसे कार्यक्रमों संबंधी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जब तक जारी नहीं किया जाता, तब तक इस निर्देश का पालन करना होगा। हाईकोर्ट ने टीवीके नेताओं के खिलाफ असहयोग का आरोप लगाया था और साथ ही आयोजकों के खिलाफ राज्य सरकार के कठोर रुख न अपनाने पर सवाल उठाए थे।

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