भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को काल्मिकिया से भारत लेकर लौटे मनोज सिन्हा

रूस के एलिस्ता, काल्मिकिया में आयोजित एक विशेष प्रदर्शनी का आयोजन लद्दाख के महान बौद्ध संत और राजनयिक कुशोक बाकुला रिनपोछे की परंपरा से भी जुड़ा हुआ है, जिन्होंने मंगोलिया, काल्मिकिया, बुर्यातिया और तुवा जैसे क्षेत्रों में बौद्ध धर्म के पुनरुद्धार में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

By डॉ.अभिज्ञात

Oct 20, 2025 17:21 IST

श्रीनगरः रूस के एलिस्ता, काल्मिकिया की राजधानी में आयोजित एक विशेष प्रदर्शनी के लिए भेजे गए अवशेष भारत आ गये हैं। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा स्वयं इन्हें वापस लाने के लिए भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में एलिस्ता गए थे। सिन्हा रूस के काल्मिकिया गणराज्य से सोमवार को भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को भारत वापस लेकर लौटे हैं। सोमवार को श्रीनगर में भिक्षुओं की उपस्थिति में इन अवशेषों को भारत लाया गया। यह प्रदर्शनी 18 अक्टूबर 2025 तक एलिस्ता में आयोजित की गई थी।

एएनआई के अनुसार मनोज सिन्हा ने इस अवसर पर कहा कि भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों की प्रदर्शनी से भारत और रूस के द्विपक्षीय संबंध और अधिक मजबूत होंगे। भारत और रूस की मित्रता ऐतिहासिक रही है। यह संबंध आगामी वर्ष में 80 वर्ष पूरे करेंगे। उम्मीद है कि यह आयोजन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की प्रस्तावित भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार, रक्षा और सांस्कृतिक सहयोग को और सुदृढ़ करेगा।

एलिस्ता में उपराज्यपाल सिन्हा का स्वागत काल्मिकिया सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने किया जिनमें काल्मिकिया सरकार के प्रथम उपाध्यक्ष त्सेरेनोव एर्द्नी निकोलायेविच, उपाध्यक्ष झांबिनोव ओचिर व्लादिमीरोविच और भारत के उप मिशन प्रमुख निखिलेश गिरी प्रमुख रूप से शामिल थे।

मालूम हो कि भगवान बुद्ध के ये पवित्र अवशेष भारत की राष्ट्रीय धरोहर घोषित हैं। इन्हें एलिस्ता ले जाने वाले उच्चस्तरीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने किया था। प्रतिनिधिमंडल में वरिष्ठ भारतीय भिक्षुओं के साथ-साथ संस्कृति मंत्रालय और अन्य संस्थानों के अधिकारी भी शामिल थे। वहां विशेष रूप से बौद्ध बहुल जनसंख्या के लिए धार्मिक अनुष्ठान और आशीर्वाद कार्यक्रम आयोजित किए गए।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि यह प्रदर्शनी रूस के किसी गणराज्य में इस प्रकार का पहला आयोजन था। इसे रूस के एलिस्ता, काल्मिकिया की राजधानी में आयोजित एक विशेष प्रदर्शनी के लिए भेजे गए थे। यह आयोजन लद्दाख के महान बौद्ध संत और राजनयिक कुशोक बाकुला रिनपोछे की परंपरा से भी जुड़ा हुआ है, जिन्होंने मंगोलिया, काल्मिकिया, बुर्यातिया और तुवा जैसे क्षेत्रों में बौद्ध धर्म के पुनरुद्धार में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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