22 दिन बाद बुधवार को लद्दाख के लेह जिले से धारा 163 को हटा लिया गया। लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन ने 24 सितंबर को हिंसक रूप ले लिया था। इसमें चार लोगों की मौत हुई और 80 से अधिक लोग घायल हुए। इसके बाद जिला प्रशासन ने लेह में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNS) की धारा 163 के तहत प्रतिबंध लागू किया। परिणामस्वरूप, लेह में पांच या उससे अधिक व्यक्तियों के जमावड़े पर रोक लग गई।
प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि धारा 163 लागू होने के बाद कोई हिंसा की घटना नहीं हुई। इसके बाद ही लेह जिले के मजिस्ट्रेट रोमिल सिंह डंक ने यह प्रतिबंध हटाने का निर्णय लिया। उन्होंने बताया कि शांति भंग और आम जनता के जीवन में कोई बाधा न आए, इसके लिए ही भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत यह प्रतिबंध लगाया गया था।
लेकिन बुधवार को ही इस मामले में लद्दाख के SSP ने एक रिपोर्ट सौंप दी थी। उस रिपोर्ट में कहा गया है कि लेह में शांति और व्यवस्था भंग होने का अब कोई खतरा नहीं है। वही रिपोर्ट 163 धाराओं को वापस लेने की सिफारिश करती है। उसी सिफारिश को मानते हुए प्रतिबंध हटा दिए गए हैं।
हालांकि लद्दाख में 163 धाराओं की पाबंदी हटने के बावजूद सोनम वांगचुक की रिहाई का अभी कोई संकेत नहीं है। 26 सितंबर को लद्दाख के इस पर्यावरण कार्यकर्ता को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उन पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाते हुए उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया। फिलहाल वह जोधपुर जेल में हैं।