भारतीय क्रिकेट टीम के हेड कोच और पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी गौतम गंभीर को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शुक्रवार को गंभीर के खिलाफ कोरोना महामारी के दौरान दवाओं को अवैध तरीके से भंडार करने और वितरण का आपराधिक मामला खारिज कर दिया गया। वर्ष 2019 से लगातार 4 सालों तक यह मामला चला था। आखिरकार हाई कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि गंभीर के खिलाफ और कोई भी आपराधिक मामला नहीं है। अदालत का फैसला आने के बाद गौतम गंभीर ने भी चैन की सांस ली और सोशल मीडिया पर एक पोस्ट भी शेयर किया।
हाई कोर्ट से मिली राहत
जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की खंडपीठ ने स्पष्ट शब्दों में यह कह दिया कि इस मामले को पूरी तरह से रद्द कर दिया जा रहा है। गौतम गंभीर फाउंडेशन के साथ मिलकर स्टार क्रिकेटर, उनकी पत्नी नताशा और मां सीमा ने इस मामले को चुनौती दी थी। घटना साल 2021 की बतायी जाती है जब दिल्ली सरकार की ड्रग कंट्रोल विभाग ने आरोप लगाया था कि पूर्व सांसद गौतम गंभीर और उनके फाउंडेशन ने वैध लाइसेंस के बिना ही फैबीफ्लूर जैसी कोरोना की दवाई का भंडार किया था। साथ ही जरूरतमंदों में इस वितरित करने का आरोप भी लगाया गया था।
इस वजह से गंभीर के खिलाफ ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की धारा 18 (C) और 27 (b)(ii) के तहत मामला दायर किया गया था।
गंभीर ने कहा, धन्यवाद
अदालत का फैसला आने के बाद गौतम गंभीर ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया जिसमें उन्होंने लिखा, 'कानून-व्यवस्था पर मेरा हमेशा भरोसा रहा है! धन्यवाद।' बता दें, कोर्ट में ट्रायल के दौरान गंभीर, उनकी पत्नी, मां व फाउंडेशन की CEO अपराजिता सिंह को समन जारी किया गया था। इसके खिलाफ ही हाई कोर्ट में उन्होंने आवेदन किया था।