भले ही सीनियर खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया हो लेकिन जूनियर खिलाड़ियों ने निराश किया। सितंबर में एशिया कप फाइनल में सूर्यकुमार यादव और अभिषेक शर्मा ने पाकिस्तान को हराकर ट्रॉफी जीती थी। लेकिन भारत को अंडर-19 (U-19) एशिया कप फाइनल में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। रविवार को पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में वैभव सूर्यवंशी और आयुष म्हात्रे 191 रन के बड़े अंतर से हार गए।
हालांकि मैच के बाद पूरा ध्यान किसी और चीज पर था। एशियन क्रिकेट काउंसिल (ACC) के चीफ मोहसिन नकवी ने पाकिस्तानी टीम को ट्रॉफी सौंपी। भारतीय टीम ने एक बार फिर उनका बॉयकॉट कर दिया। भारतीय जूनियर क्रिकेटरों ने नकवी से रनर-अप का मेडल नहीं लिया। किसने दिया मेडल?
एशिया कप जीतने के बाद सीनियर भारतीय टीम के क्रिकेटरों ने भी मोहसिन नकवी से ट्रॉफी और मेडल लेने से मना कर दिया था। उन्होंने यह फैसला पहलगाम हमले की वजह से लिया था। इस घटना के बाद एक नया विवाद खड़ा हो गया। नकवी ट्रॉफी लेकर चले गए। ट्रॉफी अभी तक इंडिया को नहीं सौंपी गई है। इस बार जूनियर्स के मामले में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। पाकिस्तान के चैंपियन बनने के बाद नकवी ने उन्हें ट्रॉफी तो सौंप दी। लेकिन इंडियन टीम रनर-अप मेडल लेने के लिए स्टेज पर भी नहीं गई।
उस समय मोहसिन नकवी स्टेज पर मौजूद थे। इसलिए भारतीय क्रिकेटर ने यह रास्ता अपनाया। टीम के खिलाड़ी पोडियम के बगल में मैदान में लाइन बनाकर खड़े हो गए। वैभव, आयुष और टीम के दूसरे खिलाड़ियों को मेडल मुबाशिर उस्मानी ने दिए। वह ICC के एसोसिएट मेंबर डायरेक्टर्स में से एक हैं। भारतीय क्रिकेटरों को नकवी के बजाय उक्त ICC अधिकारी ने मेडल प्रदान किया।
सिर्फ इतना ही नहीं मैच के शुरू होने से पहले और खत्म होने के बाद भारतीय खिलाड़ियों ने पाकिस्तानी क्रिकेटरों से हाथ भी नहीं मिलाया। इस मामले में भी उन्होंने BCCI के अनकहे नियमों और सीनियर टीम के क्रिकेटरों के दिखाए रास्ते पर चलना ही जरूरी समझा।