भारतीय शेरनियों ने दिखाया दम, दक्षिण अफ्रिका को साइलेंट कर बनीं World Champion

अब तक खेले कुल 11 विश्व कप में कभी भी भारतीय महिला टीम फाइनल नहीं जीत सकी थी। लेकिन इस बार टीम इंडिया ने पूरा पासा ही पलट कर रख दिया।

By Moumita Bhattacharya

Nov 03, 2025 00:35 IST

दक्षिण अफ्रीका की कप्तान लॉरा वूल्वर्ट ने फाइनल से पहले भारत को चेतावनी दी थी कि वे उन्हें साइलेंट कर देंगी। लेकिन वह गरजने वाले बादल निकलीं जो बरसते नहीं हैं। बल्कि टीम इंडिया से दीप्ति शर्मा ने ही उन्हें चुप करा दिया। भारतीय महिला टीम ने महिला विश्वकप के फाइनल में एक कड़े मुकाबले के बाद दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हराकर पहली बार विश्व कप जीत लिया।

कहा जाता है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। साल 2005 और 2017 में भारतीय महिला टीम विश्व कप के फाइनल तक तो पहुंची थी लेकिन वहां उन्हें हार मिली थी। अब तक खेले कुल 11 विश्व कप में कभी भी भारतीय महिला टीम फाइनल नहीं जीत सकी थी। बड़े मंच पर दबाव में आकर हिम्मत हारने या हार जाने के कई मामले सामने आए थे।

लेकिन इस बार टीम इंडिया ने पूरा पासा ही पलट कर रख दिया। भारतीय महिला टीम ने नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में दक्षिण अफ्रीका को हराकर पहली बार विश्व कप जीता। दीप्ति शर्मा ने एक लगभग हारे हुए मैच में भारत को शानदार जीत दिलाई। उन्होंने अकेले 4 विकेट लिए।

साल 2023 में भारतीय पुरुष टीम भी ऐसा नहीं कर पाए थे। विश्व कप के दौरान घरेलू मैदान पर खेले गए सभी मैचों में तो वह अजेय बने रहे लेकिन फाइनल में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। पैट कमिंस ने अहमदाबाद के स्टेडियम को खामोश करने की चेतावनी दी थी और उन्होंने वास्तव में ऐसा कर दिखाया था। दक्षिण अफ्रीकी कप्तान लॉरा वूल्वर्ट ने भी यही चेतावनी दी। कमिंस ने तो अहमदाबाद स्टेडियम को खामोश कर दिया था हरमनप्रीत ने लॉरा को ऐसा नहीं करने दिया। भारत ने वह मैच लगभग पलट दिया जो वह हारने वाला था।

अमनजोत कौर ने एक शानदार कैच से दक्षिण अफ्रीका द्वारा लगभग जीते गए मैच को भारत के पक्ष में मोड़ दिया। भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 50 ओवरों में 298 रन बनाए। भारत ने इसी मैदान पर ऑस्ट्रेलिया को 339 रनों से हराया था। डीवाई पाटिल स्टेडियम के इतिहास में 300 रनों से कम अंतर से जीत के ज्यादा उदाहरण नहीं मिलते। भारत की पारी जब 300 से कम रन पर सिमट गयी तो दर्शकों ने शोर मचाना शुरू कर दिया था।

इस मैच में हर भारतीय बैटर ने रन बनाए। स्मृति मंधाना ने नॉकआउट चरण में अपनी नाकामी का सिलसिला तोड़ा। उन्होंने ओपनिंग करते हुए 58 गेंदों पर 45 रन बनाए। विश्व कप में रिप्लेसमेंट खिलाड़ी के तौर पर उतरीं शेफाली वर्मा ने 78 गेंदों पर 87 रनों की पारी खेलकर अपनी विश्वसनीयता साबित की।

पिछले मैच में शतक लगाने वाली जेमिमा इस मैच में सिर्फ 24 रन ही बना सकीं। दीप्ति शर्मा ने 58 रनों की शानदार पारी खेली। बड़ा स्कोर खड़ा न कर पाने के बावजूद हरमनप्रीत कौर ने अहम समय पर टीम को संभाला। ऋचा घोष 7वें नंबर पर बल्लेबाज़ी करने आईं और 24 गेंदों पर 34 रनों की पारी खेली।

299 रनों का पीछा करते हुए दक्षिण अफ्रीका की सलामी जोड़ी ने 51 रन बनाए। लॉरा वूलवर्ट अंत तक टिकी रहीं। अनिके बस खाता नहीं खोल सकीं। सुन लूस ने 31 गेंदों पर 25 रनों की पारी खेली। मारिजाना कप 4 रन बनाकर आउट हुईं। शिनालो जाफ्टा 29 गेंदों पर 16 रन बनाकर पवेलियन लौटीं। एक छोर से जब एक के बाद एक विकेट गिरने लगे तो कप्तान लॉरा वूलवर्ट दूसरे छोर पर जमी रही। उन्होंने कप्तानी पारी खेली।

सेमीफाइनल के बाद हुए इस मैच में उन्होंने शतक लगाया था। लेकिन 101 रनों की पारी खेलकर वह आउट हो गईं। दीप्ति शर्मा ने उन्हें पवेलियन का रास्ता दिखाया। अमनजोत कौर ने शानदार कैच लपका और यहीं वह पल था जब मैच का रुख पलटने लगा। इसके बाद भारत की जीत तय मानी जा रही थी क्योंकि लॉरा वूलवर्ट के अलावा कोई भी और बैटर रन नहीं बना पायी।

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