मर कर भी 3 लोगों को नयी जिंदगी दे गया 'दुर्गा'

अजमेर से चेन्नई पहुंचा दिल और लिवर, लंग्स व किडनी भेजे गये जयपुर। चिकित्सा जगत में अजमेर ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है।

By लखन भारती

Sep 24, 2025 16:41 IST

जयपुर: चिकित्सा जगत में अजमेर ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। अंगदान के क्षेत्र में यह उपलब्धि इसलिए और भी खास है क्योंकि महज 18 साल की आयु में केकड़ी के एक युवक दुर्गा शंकर गुर्जन ने ब्रेन डेड होने के बाद अपने लीवर और हार्ट दान कर दूसरों को जीवनदान दिया। डॉक्टरों ने बताया कि युवक का हार्ट जयपुर के एकअस्पताल में भेजा गया। इसके लिए अजमेर से जयपुर तक विशेष रूप से ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया, ताकि दिल को सुरक्षित तरीके से कम से कम समय में पहुंचाया जा सके। वहीं लीवर से किसी अन्य मरीज को नया जीवन मिलेगा।

अजमेर से चेन्नई पहुंचा दिलः

दुर्गा शंकर का दिल चेन्नई भेजा गया है, जबकि उसकी दो किडनी, दो फेफड़े और एक लिवर जयपुर के एसएमएस अस्पताल में ट्रांसप्लांट के लिए भेजे गए हैं। बता दें कि यह अजमेर के जेएलएन अस्पताल से पहली बार है जब किसी ब्रेन डेड मरीज के अंगों को इतनी दूर तक, यानी चेन्नई तक, भेजा गया है। दिल को चार्टर विमान के माध्यम से चेन्नई पहुंचाया जाएगा। बाकी अंगों किडनी, फेफड़े और लिवर को जयपुर के एसएमएस अस्पताल में ट्रांसप्लांट के लिए भेज दिया गया है।

9वीं कक्षा का छात्र था दुर्गाः

दुर्गा शंकर के पिता जवान राम गुर्जर ने बताया कि उनके तीन संतान में से दुर्गा शंकर सबसे छोटा था। दुर्गा शंकर 9वीं कक्षा का छात्र था। पिछले मंगलवार को दुर्गा के सिर में तेज दर्द हुआ और वह बेहोश हो गया। उसे केकड़ी के राजकीय अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया, जहां से डॉक्टरों ने उसे अजमेर जेएलएन अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। दुर्गा की जांच करवाई गई तब पता चला कि उसके मस्तिष्क में नस फट गई, जिससे उसका ब्रेन डेड हो गया। इसके बाद डॉक्टरों ने अंगदान के लिए परिवार को प्रेरित किया।

विधानसभा अध्यक्ष ने परिवार का किया अभिवादन

वहीं, अंगदान के अवसर पर राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी स्वयं अस्पताल पहुंचे और युवक के परिजनों का सम्मान किया। उन्होंने कहा कि यह कार्य समाज के लिए प्रेरणादायक है और भविष्य में अंगदान के प्रति लोगों को जागरूक करेगा। अस्पताल परिसर में भावुक माहौल के बीच परिजनों व उपस्थित लोगों ने “दुर्गा शंकर अमर रहे” के नारे लगाए। सभी ने माना कि युवक भले ही शारीरिक रूप से अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसके अंग कई लोगों के जीवन को रोशन करते रहेंगे।डॉक्टरों और समाजसेवियों ने इस कदम को अंगदान के क्षेत्र में एक मील का पत्थर बताया और कहा कि यदि समाज में जागरूकता बढ़े तो हजारों जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।


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