26/11 का कमांडो निकला गांजा तस्करी का किंग, राजस्थान से गिरफ्तार

काफी समय से राजस्थान पुलिस की नजर उस पर थी। 25,000 रुपये का इनाम भी घोषित किया गया था।

By Amartya Lahidi, Posted by: लखन भारती

Oct 03, 2025 16:33 IST

एक बड़े पैमाने के गांजा तस्करी नेटवर्क के किंगपिन यानी मुख्य सरगना के रूप में गिरफ्तार हुआ बजरंग सिंह नामक 'राष्ट्रीय सुरक्षा बल' या NSG का एक पूर्व कमांडो। 26/11 मुंबई हमले के समय होटल ताज में NSG द्वारा चलाए गए आतंकवाद-विरोधी अभियान में वह भी शामिल था। लंबे समय से राजस्थान पुलिस उसकी निगरानी में थी। उसे पकड़ने के लिए 25,000 रुपये का इनाम भी घोषित किया गया था। अंततः बुधवार रात राजस्थान के चुरू से उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस ने बताया कि गिरफ्तारी के समय उसके पास से 200 किलो से अधिक अवैध मादक पदार्थ बरामद किया गया। उनका दावा है कि वह तेलंगाना और ओड़िशा से बड़ी मात्रा में गांजा राजस्थान में तस्करी करता था। आईजीपी विकास कुमार ने बताया कि बजरंग को पकड़ने के लिए दो महीने पहले ही राजस्थान पुलिस की आतंक विरोधी स्क्वाड या एटीएस और मादक पदार्थ विरोधी टास्क फोर्स या एएनटीएफ के संयुक्त प्रयास से 'ऑपरेशन गांजा' शुरू किया गया था। दोनों बलों की दो महीने की अनवरत कोशिशों के बाद एनएसजी के इस पूर्व कमांडो को पकड़ना संभव हुआ। इसके परिणामस्वरूप राजस्थान में आतंकवाद और मादक पदार्थ तस्करी के जाल में जो कुख्यात साज़िश है, वह काफी हद तक कमजोर हो जाएगी, ऐसी उम्मीद है राजस्थान पुलिस को।

NSG कमांडो से गाँजा तस्करी का सरगना, कैसे? BSF से शुरुआत

बजरंग सिंह एक समय सभी का सम्मान पात्र था। दसवीं कक्षा तक पढ़ाई की थी। हालांकि उसकी छह फुट लंबी कद-काठी और फिटनेस के कारण वह सीमा सुरक्षा बल यानी BSF का कॉन्स्टेबल बन गया।

BSF में रहते हुए उसने पंजाब, असम, राजस्थान, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में देश की सीमाओं की रक्षा और माओवादी गतिविधियों के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


BSF से NSG तक

कर्तव्यों के प्रति उसकी निष्ठा ने बाद में उसे देश के सबसे प्रमुख आतंकवाद विरोधी बल NSG में जगह दिलाई। सात साल उसने NSG के कमांडो के रूप में सेवा दी।

इसी बीच 2008 में मुंबई में हुए भयानक आतंकवादी हमले में NSG कमांडो के रूप में वह आतंकवाद विरोधी अभियान में शामिल हुआ।


राजनीति के माध्यम से अपराध की दुनिया में

NSG कमांडो के रूप में उसकी सफलता ने उसे अपने गाँव और आस-पड़ोस के क्षेत्रों में काफी लोकप्रियता दिला दी थी। यहीं से उसकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा जन्मी।

2021 में NSG कमांडो के रूप में सेवा से निवृत्त होने के बाद, बजरंग सिंह अपने गाँव राजस्थान लौट आए। उन्होंने एक राजनीतिक दल में शामिल हो गए। पंचायत चुनाव में उनकी पत्नी उम्मीदवार बनीं। हालांकि वह जीत नहीं सकीं।

राजनीति करने आने के बाद बजरंग अपराध की दुनिया के संपर्क में आ गए। उसने यह समझ लिया कि भले ही गांजा व्यापार अवैध हो, फिर भी इससे भारी आर्थिक लाभ की संभावनाएँ हैं।

BSF में नौकरी के कारण वह उड़ीसा में कई चीज़ों को जानता और समझता था। वही ज्ञान उसने गांजा तस्करी का नेटवर्क बनाने में इस्तेमाल किया। अपने पुराने परिचित लोगों के माध्यम से उसने उड़ीसा की अपराध दुनिया के कुछ लोगों के साथ संबंध बनाने शुरू किए।

इसके बाद मात्र एक साल में वह गांजा तस्करी की दुनिया में एक बड़ा नाम बन गया।

क्विंटल- क्विंटल गांजा तस्करी

छोटे-मोटे तस्करी नहीं, बजरंग सिंह क्विंटलों में गांजा एक राज्य से दूसरे राज्य की सीमाओं को पार कर राजस्थान लाते या राज्य के बाहर ले जाते। उसके इन सभी गतिविधियों पर पुलिस की नजर नहीं रह गई। क्विंटल क्विंटल गांजा तस्करी कोई छोटी-मोटी चोरी नहीं है, बजरंग सिंह क्विंटल क्विंटल गांजा एक के बाद एक राज्यों की सीमाएं पार करके राजस्थान लाया या राज्य के बाहर ले जाता। उसके ये सारे कार्य पुलिस की नजर से नहीं बच पाए। पिछले कुछ वर्षों में उसके खिलाफ कई मुकदमे दर्ज किए गए थे। 2023 में, दो क्विंटल गांजा तस्करी के आरोप में एक बार उसे गिरफ्तार भी किया गया था।

पूर्व कमांडो कैसे पकड़े गए? पिछले दो महीनों से ATS और ANTF की नजरों से बचने के लिए वह नकली मोबाइल आईडी का इस्तेमाल करता रहा। गिरफ्तारी से बचने के लिए वह दूर-दराज के गांवों में छुपा रहता था। उस पर नजर रखने के लिए पुलिस ने उसकी रसोइया की मदद ली। रसोइया का बजरंग की मादक पदार्थ तस्करी के व्यवसाय से कोई संबंध नहीं था। रसोइया वह थी जो बजरंग अपने रिश्तेदारों से संपर्क करते समय पुलिस को जानकारी देती थी। इसके अलावा उस पर नजर रखने के लिए पुलिस ने तकनीक का भी इस्तेमाल किया। पुलिस के मुखबीर ने बताया कि वह चुरु के रतनगढ़ के एक स्थान पर छुपा है। इसके बाद पुलिस ने वहां नजर रखना शुरू किया। एक दिन पुलिस ने देखा कि बजरंग सिंह एक मोटरबाइक चला रहे है। उस समय पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने का जोखिम नहीं लिया। पूर्व कमांडो पुलिस को धोखा देकर भागने के कई तरीके जानते हैं। इसलिए पुलिस ने गुप्त रूप से बजरंग का पीछा किया। इस तरह उन्हें बजरंग का गुप्त ठिकाना मिल गया। यह लगभग एक सप्ताह पहले की बात है। इसके बाद बुधवार रात को पुलिस ने अचानक उस घर पर छापेमारी कर उसे गिरफ्तार कर लिया।

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