मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप पिलाने से बच्चों की मौत का आरोप लगा था। आरोप लगाया गया था कि कफ सिरप पीने वाले कई बच्चे बीमार भी हो गए थे। इस घटना में नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की केंद्रीय टीम (NCDC) ने नमूना संग्रह का काम शुरू कर दिया है। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में कफ सिरप पीने से मौत हुई थी।
राजस्थान में भी कुछ दिन पहले ही ऐसी ही घटना सामने आई थी। आरोप लगाया गया था कि बच्चों को डेक्स्ट्रोमेथोर्फन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप पिलाया गया था। फिलहाल उस दवा के विशिष्ट बैच के नमूने की जांच की गई है। साथ ही राज्य भर में इसका वितरण भी रोक दिया गया है।
गौरतलब है कि एक विशेष कफ सिरप पीने से राजस्थान के सीकर में पांच साल के एक बच्चे की मौत होने का आरोप लगा था। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि राज्य की मुफ्त दवा योजना के तहत वह कफ सिरप मिला था। भरतपुर में भी उसी तरह का कफ सिरप पीने से 3 साल के एक बच्चे के गंभीर रूप से बीमार होने का मामला सामने आया।
जयपुर में भी इसी तरह की एक घटना की शिकायत मिली है। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से भी ऐसी ही शिकायत सामने आई है। आरोप है कि सिरप पीने से पिछले एक महीने में 6 बच्चों की किडनी संबंधी समस्याओं से मौत हो गई।
28 और 29 सितंबर को जिला स्तर से राजस्थान प्रशासन को शिकायत मिली। जयपुर की एक कंपनी द्वारा निर्मित कफ सिरप के दो विशिष्ट बैच के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई। उसके बाद ही उनका वितरण बंद कर दिया गया।
मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि दवा के कई नमूने, पानी के नमूने और कुछ अन्य आवश्यक नमूने एकत्र किए जा रहे हैं। किसी संक्रमण के कारण बच्चों की मौत और गंभीर रूप से बीमारी का खतरा तो पैदा हुआ है या नहीं, यह समझने की कोशिश भी की जा रही है। लेकिन जांचकर्ताओं का मुख्य लक्ष्य कफ सिरप की गुणवत्ता ठीक है या नहीं, इसे जांचना है।