नयी दिल्लीः लंबी दूरी की ट्रेनों में अपर बर्थ का मतलब असुविधा का सामना करने से है। एसी-टू हो या थ्री-टियर। यहां तक कि एसी फर्स्ट के यात्रियों के लिए भी अपर बर्थ पर चढ़ना कभी भी आरामदायक नहीं होता। इसी कारण अपर बर्थ के यात्री कम उम्र के लड़कों से सीट बदलने का अनुरोध करते हैं। भारतीय रेल के पास अपर बर्थ की असुविधा को लेकर काफी शिकायतें नियमित रूप से मिलती रहती हैं। उन्हीं शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए वंदे भारत स्लीपर ट्रेन में अपर बर्थ का अलग डिजाइन किया गया है। भारतीय रेल के अधिकारी बताते हैं कि वंदे भारत स्लीपर का अपर बर्थ इस तरह से बनाया गया है कि किसी भी यात्री के लिए उस बर्थ पर चढ़ना समस्या नहीं होगी।
ट्रेन के प्रोटोटाइप का अनावरण कुछ महीने पहले ही हुआ था। ट्रायल का काम भी पूरा हो गया। यात्रियों के साथ रातभर की यात्रा के लिए उपयुक्त वंदे भारत स्लीपर ट्रेन किसी भी दिन यात्रियों के सामने आ सकती है। इस बीच पहली बंदे भारत स्लीपर का रूट घोषित हो चुका है। यह ट्रेन दिल्ली से पटना तक चलेगी। लेकिन पहली ट्रेन के ट्रैक पर उतरने से पहले ही वंदे भारत एक्सप्रेस के 'दूसरे संस्करण' को लेकर भारतीय रेल के रोलिंग स्टॉक विभाग के अधिकारी उत्साहित हैं।
भारत के रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के लिए रूस की सबसे बड़ी रेल कोच निर्माण कंपनी 'ट्रांसमाशहोल्डिंग' ने मिलकर किनेत रेलवे सोल्यूशन नाम की एक कंपनी बनाई गई है। इसी किनेत में रात्रिकालीन यात्रा के लिए उपयुक्त सेमी हाई-स्पीड ट्रेन के दूसरे संस्करण का काम चल रहा है। उस ट्रेन के अपर बर्थ को 'अभूतपूर्व' बताया जा रहा है।
किनेत रेलवे सोल्यूशन की ओर से कंपनी के वंदे भारत प्रोजेक्ट के डायरेक्टर निशांक गर्ग कहते हैं, 'अपर बर्थ की समस्या को लेकर यात्रियों की जितनी भी शिकायतें हैं, उन्हें देखते हुए पहले इंजीनियरों ने समझने की कोशिश की कि यात्रियों को ठीक कहां दिक्कत होती है। उसके बाद उन समस्याओं को दूर करके अपर बर्थ को डिजाइन किया गया है। मुख्य समस्या अपर बर्थ पर चढ़ने की है। इसके लिए नए संस्करण की ट्रेन में जो सीढ़ी की व्यवस्था है, वह काफी सुरक्षित है।'
कंपनी ने बताया है कि 2026 की शुरुआत से ही वे वंदे भारत स्लीपर के रेक की आपूर्ति शुरू करेंगे। आने वाले कुछ सालों में 16 डिब्बों के 120 बंदे भारत स्लीपर रेक बनाएंगे। फिलहाल देश के सभी रेलवे जोन मिलाकर जो 140 वंदे भारत एक्सप्रेस चल रही हैं, उनमें से कोई भी रात में नहीं चलती। सुबह यात्रा शुरू करके उसी दिन वापसी का रास्ता पकड़ती है। लेकिन रेलबोर्ड की योजना वंदे भारत ट्रेन का ऐसा संस्करण बनाने की थी जो रात की यात्रा के लिए उपयुक्त हो। वहीं से बंदे भारत स्लीपर का विचार आया। इसके साथ ही भारतीय रेल ने यात्री सुविधा पर जोर दिया है। बंदे भारत स्लीपर के अपर बर्थ का नया डिजाइन इसका एक उदाहरण है।