बेंगलुरु। पूर्व जेडी(एस) सांसद प्रज्वल रेवन्ना के बलात्कार मामले में दोषसिद्धि के खिलाफ दायर अपील पर कर्नाटक हाई कोर्ट ने विस्तृत सुनवाई शुरू की है। 13 नवंबर को हुई सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए कहा कि यह मीडिया नैरेटिव, भावनात्मक प्रभाव और अधूरे सबूतों पर आधारित था।
न्यायमूर्ति के.एस. मुदगल और न्यायमूर्ति वेंकटेश नाइक की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।
बचाव पक्ष का आरोप: गवाहों में विरोधाभास, कोई ठोस सबूत नहीं
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक , वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा रेवन्ना का पक्ष रख रहे हैं। उन्होंने अदालत में कहा-गवाहों के बयान में गंभीर विरोधाभास हैं। ट्रायल जज पीड़िता की भावनात्मक स्थिति से प्रभावित दिखाई दिए।
अभियोजन ने ऐसा कोई अपराधसिद्ध सामग्री प्रस्तुत नहीं किया जिस पर आजीवन कारावास जैसा कठोर दंड दिया जा सके। लूथरा का कहना था कि इतने बड़े आरोप में इतनी कमज़ोर नींव पर दोषसिद्धि नहीं दी जा सकती।
अपराध की रिपोर्ट में 3–4 साल की देरीः बचाव पक्ष ने उठाए महत्वपूर्ण सवाल
बचाव पक्ष ने रिपोर्ट दर्ज कराने में हुई देरी को सबसे बड़ा सवाल बताया कि कथित अपराध 3 से 4 वर्ष बाद दर्ज कराया गया। पुलिस तक पहुंचने के बाद भी पीड़िता का बयान 48 घंटे बाद लिया गया। बचाव पक्ष का कहना है कि इतनी लंबी देरी से विश्वसनीयता और तथ्यपरकता दोनों पर सवाल खड़े होते हैं।
फॉरेंसिक में खामियां: “सीलिंग, स्टोरेज और चेन ऑफ कस्टडी में गड़बड़”
बचाव पक्ष के अनुसार: जब्त किए गए नमूनों की चेन ऑफ कस्टडी स्थापित नहीं हुई। नमूने सही तरीके से सील और संरक्षित नहीं किए गए। महत्वपूर्ण अधिकारियों को गवाह के रूप में पेश ही नहीं किया गया। मेडिकल बोर्ड के कुछ सदस्यों ने “असामान्य प्रक्रियाएं” अपनाईं, जो मानक जांच प्रक्रिया के अनुरूप नहीं हैं।
इन सभी खामियों के चलते, बचाव पक्ष का कहना है कि अभियोजन द्वारा प्रस्तुत वैज्ञानिक सबूतों की वैधता संदिग्ध हो जाती है।
सजा पर सुनवाई का अवसर नहीं मिला: बचाव पक्ष की बड़ी आपत्ति
लूथरा ने अदालत को बताया कि ट्रायल कोर्ट ने 1 अगस्त को दोषसिद्धि दी और 2 अगस्त को अधिकतम सजा (आजीवन कारावास) सुना दी। अर्थात आरोपी को शमनकारी परिस्थितियां प्रस्तुत करने का अवसर ही नहीं दिया गया।
गौरतलब है कि प्रज्वल रेवन्ना पिछले एक वर्ष से जेल में हैं और इसी आधार पर बचाव पक्ष ने अंतरिम जमानत की भी मांग की।
प्रज्वल रेवन्ना केस: दो बार दुष्कर्म का आरोप, वीडियो रिकॉर्डिंग और डीएनए मैचिंग
रिपोर्ट में बताया गया है कि जिस मामले में रेवन्ना को सज़ा मिली है, वह 48 वर्षीय महिला से जुड़ा है, जो रेवन्ना के परिवार के गननिकाडा फ़ार्महाउस, होलेनरसीपुरा (हासन) में घरेलू काम करती थी।
महिला का आरोप है कि वर्ष 2021 में उसके साथ दो बार दुष्कर्म हुआ। एक बार हासन के फार्महाउस में। दूसरी बार बेंगलुरु स्थित आवास पर। आरोप लगाये गये थे कि प्रज्वल रेवन्ना ने इस कृत्य का वीडियो अपने मोबाइल में रिकॉर्ड किया।
ट्रायल कोर्ट ने वीडियो फ़ुटेज, डीएनए से मेल खाते बाल के नमूने, कपड़ों पर मिले जैविक निशान और इलेक्ट्रॉनिक सबूतों को अपनी सजा का आधार बनाया।
चार अलग मामले और एसआईटी जांच
प्रज्वल रेवन्ना पर बलात्कार और यौन उत्पीड़न के कुल चार मामले दर्ज हैं। इन मामलों की जांच एसआईटी कर रही है।
मामला तब तूल पकड़ गया जब अप्रैल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले हासन में कथित अश्लील वीडियो वाली पेन ड्राइव वायरल हो गई।
प्रज्वल रेवन्ना को मई 2023 में जर्मनी से लौटने के बाद गिरफ्तार किया गया और तभी से वह जेल में है।
अगली सुनवाई अब 25 नवंबर को
हाई कोर्ट की अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी जिसमें अभियोजन पक्ष अपना जवाब पेश करेगा। अदालत सबूतों, प्रक्रिया और ट्रायल कोर्ट के तर्कों की पुन: जांच करेगी। यह केस न्यायपालिका में मीडिया प्रभाव, फॉरेंसिक की विश्वसनीयता, और न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता पर व्यापक बहस को जन्म दे रहा है।