विज्ञापन जगत का सितारा टूटा, पीयूष पांडे नहीं रहे, प्रधानमंत्री समेत विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियों ने दी श्रद्धांजलि

अपनी रचनात्मक दृष्टि से भारतीय विज्ञापन की दिशा बदलने और विज्ञापन जगत को कई कालजयी अभियान देने वाले पीयूष पांडे के निधन पर कला के विभिन्न क्षेत्रों के लोग शोकाकुल हैं।

By डॉ.अभिज्ञात

Oct 24, 2025 14:07 IST

मुंबईः'अबकी बार मोदी सरकार' जैसा चर्चित नारा देने वाले भारतीय विज्ञापन जगत के महानायक और रचनात्मक प्रतिभा के प्रतीक पीयूष पांडे नहीं रहे। आज शुक्रवार को 70 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। कला, विज्ञापन, फिल्म, राजनीति और उद्योग जगत से जुड़े दिग्गजों ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी। सूत्रों के अनुसार, पांडे पिछले कुछ हफ्तों से निमोनिया से पीड़ित थे और हाल की एक विदेश यात्रा के बाद उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आती गयी। उनका अंतिम संस्कार शनिवार सुबह 10 बजे शिवाजी पार्क, मुंबई में किया जाएगा।

इन प्रमुख नेताओं ने जताया शोक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X पर लिखा-'पीयूष पांडेअपनी रचनात्मकता के लिए प्रशंसित थे। उन्होंने विज्ञापन और संचार की दुनिया में ऐतिहासिक योगदान दिया। मैं हमारे बीच हुई मुलाकातों को सदा याद रखूंगा।’ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा- 'उन्होंने संचार की भाषा में देशज हास्य, सहजता और आत्मीयता का स्पर्श जोड़ा। उनके योगदान को आने वाली पीढ़ियां प्रेरणा के रूप में देखेंगी।’ केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने उन्हें याद करते हुए लिखा- 'पीयूष सिर्फ एक विज्ञापन विशेषज्ञ नहीं थे, बल्कि भारत के श्रेष्ठ कहानीकारों में से एक थे। उन्होंने हमें सिखाया कि भावनाएं ही रचनात्मकता की सच्ची भाषा हैं। उनके शब्दों ने ब्रांड्स को इंसानियत दी और विचारों को अमर बना दिया।’

उद्योग और कला जगत शोकाकुल

उद्योगपति गौतम अडानी के अनुसार पीयूष पांडे सिर्फ विज्ञापन के दिग्गज नहीं थे, बल्कि भारत की आत्मा की आवाज़ थे। उन्होंने भारतीय विज्ञापन को आत्मविश्वास, स्वदेशी स्वभाव और गरिमा दी। महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने अपनी भावुक श्रद्धांजलि में कहा कि पीयूष पांडे की सबसे यादगार बात उनकी खिलखिलाती हंसी और जीवन के प्रति अटूट उत्साह थी। उन्होंने हमें सिखाया कि गंभीर कामों में भी खुशी और मानवता को नहीं भूलना चाहिए। संगीतकार एहसान नूरानी के अनुसार उन्होंने विज्ञापन में रचनात्मकता की परिभाषा बदल दी और यादगार अभियानों की नींव डाली।

मित्रों की भावुक प्रतिक्रियाएं

लंबे समय से पीयूष पांडे के सहयोगी रहे विज्ञापन फिल्म निर्देशक प्रह्लाद कक्कड़ ने कहा कि हम दोनों जीवन की गंभीरता पर हंसने वाले दो बागी रचनाकार थे। ‘कैडबरी’ के उस मशहूर विज्ञापन में लड़की का क्रिकेट मैदान पर दौड़कर नाचना यह पीयूष की कल्पना थी। वे हिंदी में विज्ञापन करने पर जोर देते थे और मानते थे कि अच्छी कहानी ही सबसे बड़ा स्टार होती है। फिल्म निर्देशक शूजीत सरकार ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'मैं स्तब्ध हूं। पीयूष पांडे सिर्फ एक विज्ञापन व्यक्ति नहीं थे, बल्कि एक संस्था थे। हमने साथ में ‘खुशबू गुजरात की’ अभियान पर काम किया था। उनकी हंसी और उनकी ऊर्जा हमेशा याद रहेगी।’ निर्देशक हंसल मेहता ने कहा-'फेविकोल का जोड़ टूट गया। आज विज्ञापन जगत ने अपनी ‘ग्लू’ खो दी।’

भारतीय विज्ञापन का चेहरा बदलने वाली शख्सियत

पीयूष पांडे ने 1982 में ओगिल्वी एंड मेथर इंडिया (अब ओगिल्वी इंडिया) से करियर की शुरुआत की थी और एक प्रशिक्षु से लेकर क्रिएटिव हेड तक का सफर तय किया। अपनी रचनात्मक दृष्टि से भारतीय विज्ञापन की दिशा बदल दी और विज्ञापन जगत को कई कालजयी अभियान दिए। 2004 में वे कान्स लायंस इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ क्रिएटिविटी में जूरी अध्यक्ष बनने वाले पहले एशियाई बने। 2012 में उन्हें CLIO लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला और बाद में वे पद्मश्री सम्मान पाने वाले भारतीय विज्ञापन जगत के पहले व्यक्ति बने।


Prev Article
'मिले सुर मेरा तुम्हारा' से लेकर 'कुछ खास है...' पीयूष पांडे के विज्ञापन कैंपेन जो आज भी गुदगुदाते हैं!
Next Article
बिहार चुनाव के बाद मोदी का कांग्रेस पर ताबड़तोड़ हमला, राहुल गांधी को ‘नामदार’ कहकर तंज कसा

Articles you may like: