नयी दिल्लीः जब तकनीक के साथ आराम और सुंदरता के मिश्रण की चर्चा होती है तो उसका उदाहरण वंदे भारत स्लीपर का दिया जाता है। ऐसा दावा भारतीय रेलवे कर रहा है। रातभर की यात्रा को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन की गई यह सेमी हाई-स्पीड प्रीमियम ट्रेन कैसी होगी इसका अनुभव यात्रियों को अक्टूबर में मिलना था। लेकिन उम्मीद के मुताबिक अक्टूबर में इसे ट्रैक पर नहीं उतारा जा सका। नवंबर के पहले सप्ताह के खत्म होने में सिर्फ दो दिन बचे हैं, लेकिन रेलवे अधिकारियों ने अभी तक इस संबंध में कोई अच्छी खबर नहीं दी है। यह तय नहीं हो सका है कि यह ट्रेन यात्रियों का परिवहन कब शुरू करेगी। भारतीय रेलवे ने जानकारी दी है कि वंदे भारत स्लीपर के कोच की अंदरूनी सज्जा में कुछ बदलाव करने का निर्णय लिया गया है, यही कारण है देरी का।
रेल सूत्रों के अनुसार वास्तव में वंदे भारत स्लीपर के विभिन्न कोचों में कुछ त्रुटियाँ पाई गई हैं। दो कोचों के बीच का मध्य मार्ग काफी संकरा है। खिड़की के पर्दे को लटकाने की व्यवस्था को और बेहतर किया जा सकता है। बर्थ के कोनों में तीखेपन की समस्या है, जिससे यात्रियों के चोट लगने का खतरा हो सकता है। इन सबकी जानकारी रिसर्च डिज़ाइन्स एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन के डायरेक्टर जनरल को दी गयी है। न केवल हाल ही में तैयार हुई यह ट्रेन, बल्कि भविष्य में ट्रैक पर उतरने वाली सभी वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों को भी इन समस्याओं से मुक्त रखने का सुझाव आरडीएसओ को दिया गया है।
साथ ही, रेलवे बोर्ड ने इस ट्रेन के कोच में एंटी-कोलिशन ‘कवच’ प्रणाली का सबसे आधुनिक संस्करण लगाने पर जोर दिया है। ट्रेन के चालक, स्टेशन मैनेजर और ट्रेन मैनेजर को लगातार आपस में संपर्क बनाए रखने और कोच के ब्रेक की नियमित रखरखाव पर ध्यान देने के निर्देश भी दिए गए हैं।
कौन सी रूट पर सबसे पहले वंदे भारत स्लीपर चलायी जाएगी, इस पर अंतिम निर्णय अभी नहीं लिया गया है। रेलवे बोर्ड ने सभी रेलवे जोन को तैयार रहने के निर्देश दिए हैं। हालांकि यह निर्देश 28 अक्टूबर को भेजा गया था। उसके बाद पूरा एक सप्ताह गुजर चुका है।