ट्रेन पर चढ़ी अग्नि प्राइम, छिपाकर रखो और अचानक दुश्मन पर हमला बोल दो, युद्ध क्षेत्र में भारत और मजबूत

By अमर्त्य लाहिड़ी, Posted by डॉ.अभिज्ञात

Sep 25, 2025 18:39 IST

नयी दिल्लीः मिसाइल या क्षेपणास्त्र की दुनिया में भारत एक बड़ा नाम है। अग्नि, पृथ्वी, ब्रह्मोस, आकाश, नाग-एक के बाद एक उन्नत स्तर के क्षेपणास्त्र बनाकर भारत ने चौंका दिया है बृहस्पतिवार को भारत ने एक और इतिहास रचा। इस दिन भारत ने मध्यम दूरी की अग्नि प्राइम क्षेपणास्त्र के एक परीक्षण में सफलता पाई।

भारत के क्षेपणास्त्र का परीक्षण सफल होना कोई नई बात नहीं है। नई बात यह है कि इस दिन अग्नि प्राइम को एक ट्रेन से प्रक्षेपित किया गया। और अधिक स्पष्ट रूप से कहें तो यह प्रक्षेपण भारतीय रेलवे के लोकोमोटिव इंजन द्वारा खींचे गए एक लॉन्च बेड से किया गया।

रूस, अमेरिका और चीन के अलावा दुनिया के किसी अन्य देश के पास यह क्षमता नहीं है। बृहस्पतिवार सुबह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया पर इस परीक्षण का एक वीडियो जारी किया। जिसमें उन्होंने कहा, 'चलती रेल नेटवर्क से इस सफल परीक्षण ने कैनिस्टराइज्ड-लॉन्च सिस्टम बनाने वाले चुनिंदा देशों के समूह में भारत को शामिल कर दिया है।'

भारतीय सेना अब देश के विभिन्न दूरदराज के क्षेत्रों से भी अग्नि प्राइम क्षेपणास्त्र और अन्य उपयुक्त क्षेपणास्त्र प्रक्षेपित कर सकेगी। जहां सड़क संपर्क नहीं है लेकिन ट्रेन चलती है, वहां से भी क्षेपणास्त्र दागे जा सकेंगे। भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल मार्च तक भारत के कुल रेलवे ट्रैक की लंबाई लगभग 70,000 किलोमीटर थी।

ट्रेन से क्षेपणास्त्र प्रक्षेपण का एक और लाभ यह है कि सेना दुश्मन के उपग्रहों की नजर से क्षेपणास्त्रों को ट्रेन की सुरंगों में छिपाकर रख सकेगी। विशेष रूप से अगर प्रक्षेपण स्थल के पास ही कोई सुरंग है तो सेना अंतिम क्षण तक उस सुरंग में क्षेपणास्त्र छिपाकर रख सकेगी। उसके बाद वहां से रेल ट्रैक पर लाकर क्षेपणास्त्र को अचानक हमला करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा।

खूबियांः फिर युद्ध की स्थिति में जब दुश्मन के सैन्य ठिकानों पर हमला करने की संभावना अधिक होती है, उस समय भी क्षेपणास्त्रों को रेल-सुरंगों में छिपाकर रखा जा सकता है। हालांकि रेल-आधारित लॉन्चर की कुछ कमियां भी हैं। सबसे बड़ी कमी यह है कि लॉन्चर रेल ट्रैक के बाहर नहीं जा सकेगा। क्षेपणास्त्र केवल रेल ट्रैक से ही प्रक्षेपित किए जा सकेंगे।

सीमाएंः वर्तमान समय में क्षेपणास्त्र प्रणालियां बिल्कुल सटीक लक्ष्य पर प्रहार करती हैं। सटीक प्रहार के लिए लॉन्चर को भी सटीक स्थान पर स्थापित करना होता है, जो इस लॉन्चर के लिए संभव नहीं है। इसके अलावा, अगर किसी तरह दुश्मन रेल पटरी को उड़ा देता है तो यह लॉन्चर बीच रास्ते में फंस जाएगा। भारत जैसे विशाल रेल नेटवर्क में सुरक्षा सुनिश्चित करना लगभग असंभव है।

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