थाली तो दूर, पत्ते भी नहीं मिले, फटे कागज़ पर बच्चों को परोसा गया मिड-डे मील

वायरल वीडियो ने खोली मिड-डे मील योजना की पोल, प्रधानाध्यापक निलंबित

By कौशिक भट्टाचार्य, Posted by: श्वेता सिंह

Nov 08, 2025 23:34 IST

मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के एक सरकारी स्कूल का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें छोटे-छोटे बच्चे जमीन पर रखे फटे कागजों पर मिड-डे मील खाते दिखाई दे रहे हैं। इस अमानवीय दृश्य ने प्रशासन और आम जनता दोनों को झकझोर कर रख दिया है।

फटे कागज़ों पर परोसा गया खाना, थाली तक नसीब नहीं

श्योपुर जिले के विजयपुर ब्लॉक के हुलपुर गांव के सरकारी स्कूल में मिड-डे मील के दौरान बच्चों को थाली या केले के पत्ते तक नहीं मिले। उनके सामने फटे हुए पत्ते रखकर उन्हीं पर चावल, दाल और सब्जी परोसी गई। फटे कागजों पर परोसा गया खाना ज़मीन पर फैल गया और बच्चे जमीन पर पड़ा खाना खाने को मजबूर हुए।

वीडियो में देखा जा सकता है कि बच्चे खुले आसमान के नीचे बैठे हैं और वहीं पर भोजन परोसा जा रहा है। किसी के पत्ते पर चावल हैं, तो किसी के पास रोटी। स्कूल प्रशासन की लापरवाही से नाराज स्थानीय लोग अब सवाल उठा रहे हैं — “क्या इंसानियत इतनी सस्ती हो गई है कि बच्चों को फटे कागजों पर खाना खिलाया जाए?”

वीडियो वायरल होते ही एक्शन में आया प्रशासन

वीडियो वायरल होते ही श्योपुर के कलेक्टर अर्पित वर्मा खुद स्कूल पहुंचे। उन्होंने तुरंत स्कूल के प्रधानाध्यापक को निलंबित कर दिया और मिड-डे मील सप्लाई करने वाली एजेंसी को भी ब्लैकलिस्ट कर दिया।

कलेक्टर ने कहा — “बच्चों को इस तरह से भोजन परोसना अस्वीकार्य है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”उन्होंने इस बात की भी जांच के आदेश दिए हैं कि आखिर बच्चों को फटे कागजों पर खाना क्यों दिया गया और मिड-डे मील की गुणवत्ता की निगरानी में इतनी बड़ी चूक कैसे हुई।

भाजपा सरकार पर विपक्ष का हमला

मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा पर विपक्ष ने निशाना साधा है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि 2023 विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने मिड-डे मील योजना की गुणवत्ता सुधारने का वादा किया था, लेकिन हालात जस के तस हैं। कांग्रेस ने इसे “सरकारी उदासीनता की मिसाल” बताते हुए मुख्यमंत्री से जवाब मांगा है।

सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा

वीडियो सामने आते ही सोशल मीडिया पर लोगों ने नाराजगी जताई। यूज़र्स ने लिखा — “बच्चे देश का भविष्य हैं और अगर उन्हें इस तरह का व्यवहार मिलेगा तो यह शर्मनाक है।” कई लोगों ने मिड-डे मील सिस्टम की पारदर्शिता और निगरानी पर सवाल उठाए हैं।

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