SIR की घोषणा होते ही इंटरनेट पर ऐसे कई फर्जी लिंक वायरल हो रहे हैं, जिसमें वोटर लिस्ट होने का दावा किया जा रहा है। लेकिन मुख्य चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने इन सभी लिंक को फर्जी करार दिया है। ऐसे में किसी आम यूजर के लिए असली और नकली लिंक में फर्क कर पाना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है।
इस मुश्किल काम को आपके लिए हम आसान बना दे रहे हैं। बस यहां दिए गए कुछ बातों का ख्याल रखें जिससे आप असली और नकली ECI लिंक की आसानी से पहचान कर सकेंगे।
कैसे करें फर्जी ECI लिंक की पहचान?
- सबसे पहले आपने कौन सा वेबसाइट खोला है, उसकी जांच करें। असली वोटर लिस्ट हमेशा eci या voters.eci.gov.in अथवा राज्य CEO की वेबसाइट पर ही उपलब्ध होगी। अगर वेबसाइट का URL (लिंक) इनमें से कहीं का नहीं है, तो सावधान हो जाएं। संभव है कि आप किसी फर्जी वेबसाइट के लिंक पर क्लिक कर रहे हैं।
- आधिकारिक पुष्टि को देखें। ECI अपने आधिकारिक वेबसाइट पर स्पष्टीकरण से जुड़े पोस्ट करता है। यहां कई वायरल दावों का खंडन भी किया गया है।
- चुनाव आयोग से जुड़ी किसी भी खबर की सत्यता की जांच के लिए सिर्फ स्क्रीनशॉट पर भरोसा न करें। स्क्रीनशॉट या इमेज से छेड़छाड़ भी की जा सकती है। इसलिए हमेशा आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ही किसी भी जानकारी सत्यता की जांच करें।
- वेबसाइट के लिंक पर सिर्फ HTTPS का होना ही काफी नहीं है। स्कैमर्स भी आजकल HTTPS से लिंक बना लेते हैं। इसलिए हमेशा URL (लिंक) में वेबसाइट का नाम (Domain Name) जरूर जांच लें।
- किसी अफवाह या खबर के फैलने पर घबराए नहीं और न ही घबराहट में कोई फैसला करें। इन खबरों की सत्यता जांचने का सबसे आसान तरीका किसी भी जाने-माने न्यूज़ वेबसाइट पर किसी भी खबरों को ढूंढना है। अगर वास्तव में चुनाव आयोग कोई बड़ा कदम उठाती है, तो इस बात की जानकारी न्यूज़ चैनलों और वेबसाइट को भी जरूर दी जाएगी।
- अगर आपको कोई संदेहास्पद लिंक या वेबसाइट दिखता है तो उस लिंक पर क्लिक करने की गलती बिल्कुल न करें। जिस प्लेटफार्म (जैसे सोशल मीडिया) पर आपको वह लिंक दिखाई दे रहा है, वहां उसे रिपोर्ट करें। इसके साथ ही इस बात की जानकारी चुनाव आयोग के पास भी जरूर दर्ज करवाए।
साइबर विशेषज्ञ ने कहा
News Ei Samay से हुई खास बातचीत में साइबर विशेषज्ञ और वकील विभास चटर्जी ने कहा कि देश के विभिन्न राज्यों में SIR की प्रक्रिया शुरू हो रही है। इसलिए इस तरह की फर्जी घटनाओं का भी बढ़ना आम हो गया है। ठीक इसी तरह की घटनाएं कोरोना अतिमारी, नोटबंदी और इसी तरह के अन्य राष्ट्रीय घटनाओं के समय भी हुई थी। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आपको ह्वाट्स ऐप, मैसेंजर या किसी भी अन्य सोशल मीडिया माध्यम से भेजे गए किसी लिंक की और उसकी सत्यता की जांच जरूर करें।