नयी दिल्लीः भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम हुए सात महीने बीत चुके हैं, लेकिन इस पर चर्चा थमने का नाम नहीं ले रही है। दोनों देशों के बीच युद्ध रुकवाने का श्रेय लेने की होड़ में अब वॉशिंगटन के साथ-साथ बीजिंग भी कूद पड़ा है। पिछले मई महीने से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कई बार ट्रंप खुद यह दावा करते रहे हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता उन्होंने की। अब उसी सूची में बीजिंग का नाम भी जुड़ गया है। ट्रंप की ही तरह सुर में सुर मिलाते हुए चीन के विदेश मंत्री ने दावा किया कि इस साल जिन मुद्दों पर चीन ने मध्यस्थता की, उनमें भारत-पाकिस्तान भी शामिल था। वांग यी के इस दावे को भारत ने सिरे से खारिज कर दिया है।
7 मई को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान की धरती पर आतंकवाद को खत्म करने के उद्देश्य से भारत ने एक विशेष अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया। इस अभियान के जवाब में पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया। भारत की जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान को भारी नुकसान उठाना पड़ा। इसके बाद 10 मई को दोनों देश संघर्ष विराम पर सहमत हुए। उस समय अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप और उनके विदेश मंत्री रुबियो ने सोशल मीडिया पर कई बार पोस्ट कर दोनों देशों से युद्ध रोकने की अपील की थी। भारत द्वारा संघर्ष विराम की घोषणा के बाद से ही अमेरिकी राष्ट्रपति इस फैसले का श्रेय लेने का दावा करते आ रहे हैं। हालांकि नई दिल्ली की ओर से साफ कहा गया था कि युद्ध रोकने का निर्णय दोनों देशों का आंतरिक मामला था और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी। इसके बावजूद डोनाल्ड ट्रंप अपने दावे से पीछे नहीं हटे। अब उसी तरह की मध्यस्थता का दावा एक अन्य पड़ोसी देश की ओर से भी सुनाई दिया।
साल के अंत में बीजिंग में अंतरराष्ट्रीय हालात और चीन के विदेश संबंधों पर हुई एक चर्चा में चीन के विदेश मंत्री वांग य ने दावा किया कि भारत-पाकिस्तान के बीच टकराव चीन की वजह से थमा। उन्होंने कहा, “दुनिया में संघर्ष और अस्थिरता तेजी से बढ़ रही है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद से स्थानीय युद्धों और सीमा विवादों में शामिल देशों की संख्या काफी बढ़ गई है।” उनके अनुसार, अंतरराष्ट्रीय संघर्षों से निपटने में चीन ने “न्यायसंगत रुख” अपनाया है।
इतना ही नहीं, चीन के विदेश मंत्री के मुताबिक बीजिंग ने दुनिया के कई ‘हॉटस्पॉट’ मुद्दों का समाधान किया है। उस सूची में भारत-पाकिस्तान भी शामिल है। वांग ने कहा, “हॉटस्पॉट समस्याओं के समाधान के लिए चीन की विशेष पद्धति अपनाते हुए हमने उत्तरी म्यांमार, ईरान के परमाणु मुद्दे, फिलिस्तीन-इज़रायल विवाद, पाकिस्तान-भारत के बीच तनाव और कंबोडिया-थाईलैंड के बीच हालिया संघर्ष में मध्यस्थता की है।”
हालांकि ट्रंप के दावों के बाद से ही नई दिल्ली लगातार यह कहती आ रही है कि भारत-पाकिस्तान से जुड़े मामलों में किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की कोई जगह नहीं है। बीजिंग की इस टिप्पणी के बाद भी नई दिल्ली ने दोहराया कि भारत पहले भी अपना रुख साफ कर चुका है। संघर्ष विराम दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच सीधे सहमति के आधार पर हुआ था।