नयी दिल्लीः ‘तारीख पे तारीख’ पर रोक की तैयारी। भारत की न्यायिक व्यवस्था में लंबित मामलों की समस्या से निपटने के लिए मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्य कांत ने ऐतिहासिक कदम उठाया है। पदभार संभालने के एक महीने के भीतर ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई प्रक्रिया में व्यापक बदलाव कर दिया है। सोमवार को शीर्ष अदालत ने दो प्रशासनिक दिशानिर्देश जारी किए, जिनमें स्पष्ट किया गया है कि अब वकील घंटों तक लगातार दलीलें नहीं दे सकेंगे। साथ ही मामलों की सुनवाई में वरिष्ठ नागरिकों और समाज के पिछड़े वर्गों को प्राथमिकता देने की व्यवस्था की गई है।
नए नियमों में क्या बदलेगा?
मुख्य न्यायाधीश की नई गाइडलाइंस के अनुसार अब सुप्रीम कोर्ट में अनिश्चित समय तक सुनवाई नहीं चलेगी। चाहे वरिष्ठ अधिवक्ता हों या सामान्य वकील-सभी को पहले से यह बताना होगा कि वे अपनी दलीलें कितने समय में पूरी करेंगे।
सुनवाई से एक दिन पहले यह ‘टाइमलाइन’ जमा करनी होगी। इसके अलावा सुनवाई से तीन दिन पहले अधिकतम पाँच पन्नों में मामले से संबंधित लिखित नोट जमा करना अनिवार्य कर दिया गया है।
इसका उद्देश्य यही है कि कोई एक मामला अदालत का सारा समय न ले ले। साथ ही, इससे न्यायाधीशों को पहले से ही मामले के विषय-वस्तु की स्पष्ट समझ मिल सकेगी।
किन्हें मिलेगा लाभ?
दूसरी निर्देशिका आम लोगों के लिए राहत की खबर लेकर आई है। मामलों की सूची में चार विशेष श्रेणियाँ जोड़ी गई हैं, जिनके मामलों की सुनवाई सबसे पहले की जाएगी। ये चार श्रेणियाँ हैं-
1.विशेष रूप से सक्षम व्यक्ति और एसिड हमले के पीड़ित
2.80 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिक
3. गरीबी रेखा से नीचे (BPL) जीवन यापन करने वाले
4.कानूनी सहायता (लीगल एड) के मामले
इन चार श्रेणियों को जनहित याचिकाओं या आंशिक रूप से सुने गए मामलों से भी अधिक प्राथमिकता दी जाएगी।
‘तारीख पे तारीख’ की संस्कृति पर रोक लगाने और आम लोगों के न्याय पाने के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए मुख्य न्यायाधीश सूर्य कांत की इस पहल को कानूनी जगत ‘गेम चेंजर’ के रूप में देख रहा है। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में 91,000 से अधिक मामले लंबित हैं। उम्मीद की जा रही है कि इस नए कदम से इस जटिलता को सुलझाने में मदद मिलेगी।