भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने की कोशिश करते हुए पाकिस्तान फिर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदा हुआ। हाल ही में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ताहिर अंदराबी ने आरोप लगाया था कि भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहा है और इस बारे में पाकिस्तान चिंतित है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी इस मामले में सक्रिय होने का आह्वान किया था। सोमवार को भारत ने इस टिप्पणी पर कड़ा विरोध जताया। विदेश मंत्रालय (MEA) ने पाकिस्तान को व्यावहारिक रूप से 'आईना' दिखाया।
नयी दिल्ली की तरफ से विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने साफ कहा है कि पाकिस्तान ऐसा देश है जिसका खुद के मानवाधिकार और अल्पसंख्यक सुरक्षा का रिकॉर्ड बेहद खराब है। उन्होंने कहा, 'हम पाकिस्तान की इस बेसिर-पैर की टिप्पणी को पूरी तरह खारिज करते हैं। जिस देश के खुद के अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का इतिहास सबके सामने है, उनके मुँह से ऐसी बातें नहीं सुहाती है। अपने कलंक को छुपाने के लिए दूसरों की ओर उंगली उठाने से कोई फायदा नहीं होगा।'
जयसवाल ने आगे कहा कि पाकिस्तान में हिंदू, सिख, ईसाई और अहमदिया समुदायों पर व्यवस्थित रूप से जो अत्याचार किया जाता है, वह आज पूरी दुनिया जानती है। विशेष रूप से पाकिस्तान के विवादित धर्म निरपेक्षता कानून का किस तरह अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, इस पर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ध्यान रखते हैं।
यानी, नई दिल्ली ने स्पष्ट शब्दों में बता दिया कि विश्व मंच पर भारत की छवि को नुकसान पहुँचाने इस पाकिस्तानी कोशिश को भारत स्वीकार नहीं करेगा लेकिन पिछले कुछ दिनों में बिहार में मुस्लिम वस्त्र व्यापारी को पीट-पीटकर हत्या करना हो या क्रिसमस उत्सव में स्वघोषित हिंदुत्ववादियों का तांडव—देश के लोग ही पाकिस्तान के हाथ इस तरह के बयानों का हथियार दे रहे हैं। पाकिस्तान की आलोचना करने के साथ-साथ, इस ओर भी ध्यान देने का समय आ गया है। भारतीय सरकार का कोई मंत्री या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब तक इस विषय में कोई टिप्पणी नहीं की है।