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भारत ने इस्पात आयात पर तीन साल का सेफगार्ड शुल्क लगाया

हाल के समय में इस्पात आयात में अचानक तेज़ और उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।

By Author by: अंशुमान गोस्वामी, posted by: राखी मल्लिक

Dec 31, 2025 14:08 IST

नई दिल्ली: भारत सरकार ने कुछ चुनिंदा इस्पात उत्पादों पर तीन वर्षों के लिए आयात शुल्क लगाने का निर्णय लिया है। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि इस शुल्क की दर पहले वर्ष में 12 प्रतिशत, दूसरे वर्ष में 11.5 प्रतिशत और तीसरे वर्ष में 11 प्रतिशत होगी। स्थानीय स्तर पर इस शुल्क को सेफगार्ड ड्यूटी कहा जाता है।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार यह आयात शुल्क मुख्य रूप से चीन, वियतनाम और नेपाल से आने वाले इस्पात उत्पादों पर लागू होगा। हालांकि कुछ विकासशील देशों पर यह शुल्क प्रभावी नहीं होगा। साथ ही स्टेनलेस स्टील जैसे विशेष प्रकार के इस्पात उत्पादों को इस शुल्क के दायरे से बाहर रखा गया है।

केंद्रीय इस्पात मंत्रालय पहले भी कई बार कह चुका है कि सस्ते और निम्न गुणवत्ता वाले आयात से देश के इस्पात उद्योग को नुकसान न पहुंचे, इसे लेकर सरकार सतर्क है। इससे पहले इसी साल अप्रैल महीने में सरकार ने 200 दिनों के लिए 12 प्रतिशत की दर से एक अस्थायी शुल्क लगाया था।

डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज़ (DGTR) ने बताया है कि हाल के दिनों में इस्पात आयात में अचानक तेज और उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इस प्रवृत्ति से देश के इस्पात उद्योग को गंभीर नुकसान हो सकता है, ऐसी चेतावनी भी दी गई है। इसी कारण DGTR ने तीन वर्षों के लिए यह सेफगार्ड ड्यूटी लगाने की सिफारिश की थी।

वैश्विक बाज़ार में इस्पात व्यापार को लेकर तनाव कोई नई बात नहीं है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा इस्पात आयात पर शुल्क लगाने के फैसले के बाद चीनी इस्पात को लेकर कई देशों में व्यापारिक तनाव उत्पन्न हुआ है। दक्षिण कोरिया और वियतनाम जैसे देशों ने पहले ही एंटी-डंपिंग शुल्क लागू कर दिए हैं।

सरकार के इस फैसले का असर शेयर बाज़ार पर भी पड़ा है। बुधवार को भारत की बड़ी इस्पात कंपनियों के शेयरों में 2 से 5 प्रतिशत तक की तेजी देखी गई। टाटा स्टील और जेएसडब्ल्यू स्टील के शेयर भाव में 5 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई। इसके अलावा जिंदल स्टील, एनएमडीसी स्टील और सेल के शेयरों में 4 प्रतिशत से अधिक की बढ़त दर्ज की गई। यहां तक कि बुधवार को सेल के शेयर ने ऑलटाइम हाई स्तर को भी छू लिया।

विशेषज्ञों के अनुसार इस शुल्क के लागू होने से एक ओर जहां विदेशों से सस्ते इस्पात का आयात कम होगा, वहीं देश के इस्पात उद्योग को कुछ राहत मिलेगी। हालांकि लंबी अवधि में इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, यह परिस्थितियों पर निर्भर करेगा।

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