नयी दिल्लीः पिछले 9 महीनों में अपने 210 शीर्ष नेताओं के मारे जाने के बाद माओवादियों ने केंद्र सरकार को 'अस्थायी संघर्षविराम' का प्रस्ताव भेजा। उन्होंने कहा है कि वे शांति वार्ता के लिए तैयार हैं। रविवार को गृह मंत्री अमित शाह ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, 'कोई संघर्षविराम नहीं। तुरंत आत्मसमर्पण करना होगा।'
अमित शाह ने यह भी कहा कि अगर माओवादी आत्मसमर्पण करते हैं तो केंद्र सरकार सहानुभूतिपूर्वक देखेगी। न्यूज 18 को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, 'एक चिट्ठी घूम रही है। उसमें सीपीआई (माओवादी) की ओर से कहा गया है कि शांति वार्ता के लिए उन्हें अस्थायी संघर्षविराम की जरूरत है। लेकिन कान खोलकर सुन लीजिए, कोई संघर्षविराम नहीं होगा। आप लोग बंदूक नीचे रखें। पुलिस गोली नहीं चलाएगी।'
सूत्रों के अनुसार, हाल ही में माओवादियों के कुछ शीर्ष नेता तेलंगाना के भद्राद्री-कोठागुडेम जिले में संगठन की समग्र स्थिति पर चर्चा करने के लिए एक आपातकालीन बैठक में शामिल हुए। उसके बाद ही मल्लोजुला कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी के भाई ने शांति वार्ता और संघर्षविराम की मांग करते हुए एक पत्र लिखा।
उस पत्र में कहा गया है, 'हम स्पष्ट रूप से बता रहे हैं कि भविष्य में हम जनता के हित में लड़ने वाले सभी राजनीतिक दलों और संगठनों के साथ मिलकर काम करेंगे। इस बारे में हम केंद्रीय गृह मंत्री और उनके प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं।' यह बयान 15 अगस्त को जारी किया गया था।
इसके पीछे सुरक्षा बलों द्वारा माओवादियों के खिलाफ लगातार चलाए जा रहे अभियान हैं। पिछले अप्रैल में छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में जवानों ने नंबाला केशव राव उर्फ बासवराजू को मार गिराया था। यह माओवादियों के लिए सबसे बड़ा झटका था।
केंद्र सरकार माओवाद मुक्त भारत बनाना चाहती है। इसके लिए समय सीमा भी तय कर दी गई है। अमित शाह ने बताया कि मोदी सरकार प्रतिबद्ध है। 31 मार्च, 2026 तक देश से माओवादियों का सफाया कर दिया जाएगा।