यूनेस्को ने कोलकाता की दुर्गा पूजा को 'विश्व सांस्कृतिक धरोहर' का दर्जा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने षष्ठी की सुबह इसका श्रेय लिया। रविवार को अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि केंद्र की पहल से कोलकाता की दुर्गा पूजा को यूनेस्को की मान्यता मिली है।
प्रधानमंत्री हर महीने के आखिरी रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम में देशवासियों को संबोधित करते हैं। इस दिन उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार छठ पूजा को यूनेस्को से मान्यता दिलाने के लिए प्रयासरत है। प्रधानमंत्री के अनुसार छठ पर्व केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में मनाया जाता है। अगर छठ पूजा को यूनेस्को की सूची में जगह मिल जाती है, तो दुनिया के हर हिस्से के लोग इसकी महिमा का अनुभव कर सकेंगे।
इसके बाद, मोदी ने दुर्गा पूजा को यूनेस्को मान्यता मिलने का मुद्दा उठाया। उन्होंने दावा किया कि कुछ साल पहले भारत सरकार के ऐसे ही प्रयासों के कारण पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा को यूनेस्को विश्व सांस्कृतिक विरासत का दर्जा मिला था। उनके अनुसार अगर देश के सांस्कृतिक आयोजनों को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिलेगी तो पूरी दुनिया उन आयोजनों को जानेगी, समझेगी और उनमें शामिल भी होगी।
राज्य सरकार का दावा है कि उनके प्रयासों से ही यूनेस्को ने दुर्गा पूजा को मान्यता दी है।मई 2022 में नेताजी इंडोर स्टेडियम में एक समारोह में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने साफ तौर पर कहा था कि दस साल तक दुर्गा पूजा को बढ़ावा देने के बाद यूनेस्को ने इस पूजा को एक धरोहर घोषित किया है। इसमें किसी और का योगदान नहीं है। योगदान क्लब, पूजा समिति और बंगाल की जनता का है। हालांकि, मोदी के आज के भाषण से साफ़ है कि वे राज्य सरकार को इसका श्रेय देने से हिचकिचा रहे हैं।राजनीतिक विश्लेषकों का एक वर्ग मानता है कि षष्ठी के दिन मोदी की टिप्पणी ने एक अलग ही मोड़ ले लिया है।