संतान यदि बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल नहीं करती है तो उसे घर से निकाल देंः सुप्रीम कोर्ट

By अन्वेषा बंद्योपाध्याय, Posted by डॉ.अभिज्ञात

Sep 26, 2025 11:59 IST

नई दिल्ली: यदि वयस्क संतानें बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल नहीं करती हैं तो माता-पिता को उन संतानों को घर से निकालने का अधिकार है। हाल ही में एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह याद दिलाया है। अदालत ने बताया कि जरूरत पड़ने पर वरिष्ठ नागरिकों के लिए कानून के तहत इस तरह का निर्देश देने का अधिकार संबंधित ट्रिब्यूनल के पास है।

2007 में पारित वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण कानून के अनुसार, माता-पिता अभियुक्त संतान को अपनी संपत्ति से भी बेदखल कर सकते हैं। चर्चित मामले में देखभाल न करने के कारण अपने बड़े बेटे को संपत्ति से बेदखल करने का फैसला 80 वर्षीय एक व्यक्ति और उनकी 78 वर्षीय पत्नी ने लिया है। हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट ने उस बुजुर्ग दंपती के इस कदम पर रोक लगा दी थी। इसलिए वे सुप्रीम कोर्ट गए। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश विक्रम नाथ और संदीप मेहता ने कहा कि बुजुर्ग माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण और भरण-पोषण अधिनियम (2007) का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वे अपने जीवन के अंतिम दिनों में अच्छी तरह से देखभाल के साथ जी सकें। यदि कोई बच्चा या रिश्तेदार वरिष्ठ नागरिक के प्रति अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाता है तो उसे संपत्ति से बेदखल करने के पिछले उदाहरण भी शीर्ष अदालत ने पेश किए। सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों ने बताया संबंधित ट्रिब्यूनल को भी यह निर्देश देने का अधिकार है।

याचिकाकर्ता बुजुर्ग दंपती के बड़े बेटे ने मुंबई में उनकी दो संपत्तियों पर कब्जा कर लिया था। लेकिन जब माता-पिता उत्तर प्रदेश से उस घर में रहने आना चाहते थे तो उन्हें वहां प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि माता-पिता को उनकी ही संपत्ति में प्रवेश करने से रोककर उस दंपती के बड़े बेटे ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। न्यायाधीशों ने कहा कि दंपती के बड़े बेटे को 30 नवंबर तक उस घर को खाली करना होगा। उन्हें दो सप्ताह के भीतर इस आशय का लिखित जवाब अदालत में देना होगा।

2023 के जुलाई में दम्पती ने पहले बुजुर्ग माता-पिता की सुरक्षा संबंधी ट्रिब्यूनल में मामला दर्ज किया था। उन्होंने देखभाल के लिए बेटे से पैसे मांगकर मुकदमा किया था और उन्होंने मुंबई के घर से बेटे को निकालने के लिए भी आवेदन किया था। पिछले साल जून में ट्रिब्यूनल ने निर्देश दिया था कि बेटे को मुंबई का वह घर खाली करना होगा। साथ ही ट्रिब्यूनल ने बुजुर्ग माता-पिता के लिए महीने में 3000 रुपये देने का भी निर्देश दिया था।

बाद में उस निर्देश को चुनौती देते हुए बड़े बेटे ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि बेटे को घर से निकालने का निर्देश सही नहीं था क्योंकि इस मामले में दंपति का बड़ा बेटा भी साठ से ऊपर है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी में कहा कि 2023 के जुलाई में दंपति के बड़े बेटे की उम्र 59 साल थी, इसलिए इस मामले में उन्हें वरिष्ठ नागरिक के रूप में नहीं माना जा सकता।

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