नयी दिल्लीः मंगलवार को तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन (टैस्मैक) में एक हज़ार करोड़ रुपये के कथित भ्रष्टाचार के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की गई छापेमारी की प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी आलोचना की। प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन के पीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान ईडी की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए।
अदालत ने पूछा कि संघीय ढांचे का क्या होगा? राज्य की कानून-व्यवस्था का नियंत्रण किसके पास है? अदालत ने इस टिप्पणी के साथ टैस्मैक मामले में ईडी की जांच पर फिलहाल रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि जब तक मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की विभिन्न धाराओं को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोई निर्णय नहीं होता, तब तक ईडी की इस जांच पर रोक रहेगी।
प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले पीठ कहा कि पीएमएलए की धाराओं की समीक्षा संबंधी याचिकाओं की सुनवाई लंबे समय से लंबित है। प्रधान न्यायाधीश गवई ने टिप्पणी की कि पिछले तीन वर्षों से हम सुन रहे हैं कि पुनर्विचार प्रक्रिया चल रही है लेकिन इसकी सुनवाई कब होगी?
गौरतलब है कि पीएमएलए के तहत ईडी को प्राप्त असीमित अधिकारों को चुनौती देने वाली कई पुनर्विचार याचिकाएं न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाले पीठ के समक्ष लंबित हैं। हाल के समय में कई मामलों में सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न उच्च न्यायालयों ने ईडी की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं।
विपक्षी दलों ने भी बार-बार आरोप लगाया है कि केंद्रीय सरकार ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग कर विपक्षी नेताओं को लक्षित कर रही है। इस संबंध में प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि पिछले छह वर्षों से मैं ईडी के कई मामले देख रहा हूं लेकिन मैं इस पर कुछ कहना नहीं चाहता, अन्यथा यह फिर खबर बन जाएगा।
केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दलील दी कि जब एजेंसी के पक्ष में कुछ होता है तो वह कभी-कभी ही खबर बनती है और यही हमारी शिकायत है।
सुनवाई के दौरान तमिलनाडु सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने ईडी की जांच प्रक्रिया पर अनेक प्रश्न उठाए। सिब्बल ने तर्क दिया कि जब टैस्मैक ने स्वयं आंतरिक कार्रवाई का निर्देश दिया था, तब फिर उसके कार्यालय में छापेमारी क्यों की गई? वहीं मुकुल रोहतगी ने ईडी द्वारा ज़ब्त किए गए मोबाइल फ़ोनों को लेकर सवाल उठाए।
प्रधान न्यायाधीश गवई ने कहा कि तमिलनाडु सरकार इस मामले में मूकदर्शक बनकर नहीं बैठी है। इसके उत्तर में एसवी राजू ने कहा कि यह एक संगठित और गंभीर भ्रष्टाचार का मामला है, इसलिए ईडी ने इसमें हस्तक्षेप किया है।