राज्यसभा में विपक्ष को महत्व देने के लिए उपराष्ट्रपति को डेरेक की सलाह

By कौशिक दत्त

Sep 22, 2025 16:46 IST

एई समय, नयी दिल्लीः जैसा कि अनुमान लगाया जा रहा था, उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने जीत हासिल कर ली। उन्होंने इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों के अंतर से हराया और देश के 15वें उपराष्ट्रपति बने। चुनाव में कुल 767 मत डाले गए, जिनमें से राधाकृष्णन को 452 मत प्राप्त हुए।

राधाकृष्णन के उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेने से पहले ही तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने उन्हें कुछ सुझाव दिए हैं, जो राज्यसभा के सभापति के रूप में उनके आगामी कार्यकाल को लेकर थे। डेरेक ने विशेष रूप से यह याद दिलाया कि विपक्ष को समान महत्व देना बेहद जरूरी है।


डेरेक की सलाह थी कि राज्यसभा में महत्वपूर्ण विषयों पर विपक्ष के नोटिसों को अधिक संख्या में स्वीकार किया जाए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 से 2016 के बीच राज्यसभा में 110 नोटिस चर्चा के लिए स्वीकार किए गए थे, लेकिन 2017 से 2024 के बीच यह संख्या घटकर केवल 36 रह गई। उन्होंने इसे चिंताजनक बताया और कहा कि केंद्र सरकार की जवाबदेही तय करने के लिए विपक्ष की भूमिका को स्वीकार किया जाना चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने विपक्षी सांसदों के निलंबन की बढ़ती घटनाओं पर भी आपत्ति जताई। उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 में संसद में कुल 146 सांसदों को निलंबित किया गया, जिनमें से 100 लोकसभा के थे। इसे उन्होंने संसदीय इतिहास में अभूतपूर्व बताया और कहा कि यह प्रवृत्ति अब बंद होनी चाहिए।


डेरेक ने यह भी मांग की कि राज्यसभा की अध्यक्षता करने के लिए उपसभापति या सभापति की अनुपस्थिति में कम से कम छह सदस्यों को उपाध्यक्ष के रूप में नामित किया जाए, ताकि सदन का संचालन सुचारु रूप से हो सके। सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने यह आरोप भी लगाया कि सरकार द्वारा संचालित संसद टीवी चैनल पर केवल सत्तापक्ष के दृश्य दिखाए जाते हैं, जबकि संसद के भीतर विपक्ष के विरोध प्रदर्शनों को प्रसारित नहीं किया जाता। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह उचित है और मांग की कि विपक्ष की सेंसरशिप बंद की जाए।


उन्होंने राधाकृष्णन से यह भी आग्रह किया कि राज्यसभा में प्रस्तुत विधेयकों को विशेषज्ञों से परामर्श के बाद संसदीय समितियों के पास भेजा जाए ताकि उनका समुचित विश्लेषण और मूल्यांकन हो सके। इसके साथ ही, जब संसद में कोई विधेयक पारित हो, तो प्रत्येक सदस्य को उसमें संशोधन लाने और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग में भाग लेने का पूरा अधिकार मिले। उनका कहना था कि पिछले कुछ वर्षों में सांसदों को इस अधिकार से वंचित किया गया है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के विरुद्ध है।


पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के कई निर्णयों का विपक्ष ने विरोध किया था। पिछले वर्ष इंडिया गठबंधन के सदस्यों ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया था। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सीपी राधाकृष्णन विपक्ष का विश्वास जीत पाएंगे, या संसद में टकराव की स्थिति आगे भी बनी रहेगी।

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