'राजनीतिक दल वेबसाइट पर अपने नियम व संविधान डालें': याचिका पर चुनाव आयोग व केंद्र को नोटिस

यह आवेदन अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने एक पहले से लंबित जनहित याचिका के तहत दिया है। उनकी याचिका में मांग की गई है कि देश के राजनीतिक दलों के पंजीकरण और नियमन के लिए स्पष्ट नियम बनाए जाएँ ताकि राजनीति में धर्मनिरपेक्षता, पारदर्शिता और राजनीतिक न्याय कायम रह सके।

By डॉ.अभिज्ञात

Nov 03, 2025 15:56 IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चुनाव आयोग (ईसीआई) और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस उस याचिका पर जारी हुआ है, जिसमें मांग की गई है कि देश के सभी राजनीतिक दल अपनी आधिकारिक वेबसाइट के होमपेज पर अपने संविधान, नियम और उपविधियाँ सार्वजनिक करें।

कोर्ट ने मांगा तीनों संस्थाओं से जवाबः न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची के पीठ ने चुनाव आयोग, कानून मंत्रालय और विधि आयोग से इस याचिका पर जवाब मांगा है। अदालत ने इन संस्थाओं से पूछा है कि राजनीतिक दलों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।

याचिका दायर किसने दायर की?: यह आवेदन अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने एक पहले से लंबित जनहित याचिका के तहत दिया है। उनकी याचिका में मांग की गई है कि देश के राजनीतिक दलों के पंजीकरण और नियमन के लिए स्पष्ट नियम बनाए जाएँ ताकि राजनीति में धर्मनिरपेक्षता, पारदर्शिता और राजनीतिक न्याय कायम रह सके।

याचिका में क्या कहा है?: याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयोग अपने संवैधानिक और वैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए ऐसे निर्देश जारी करे, जिससे हर राजनीतिक दल जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29बी और 29सी का पालन करे। साथ ही अदालत को यह भी बताया जाए कि इन प्रावधानों का पालन किस हद तक हो रहा है।

राजनीतिक दल भी जवाबदेह होंः याचिका में यह तर्क दिया गया है कि राजनीतिक दलों को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29ए के तहत कानूनी दर्जा प्राप्त है। वे संविधान के प्रति निष्ठावान रहने के लिए बाध्य हैं। दल उम्मीदवारों को टिकट देते हैं और जनता उन्हीं के प्रतीक चिह्न पर वोट करती है। इस कारण वे लोकतंत्र की जड़ हैं और सार्वजनिक संस्थान की तरह कार्य करते हैं। इसलिए उनका जनता के प्रति जवाबदेह होना आवश्यक है।

पारदर्शिता की जरूरत क्यों?: याचिका के अनुसार, पूरा शासनतंत्र राजनीतिक दलों के माध्यम से चलता है। वे लगातार सार्वजनिक कार्यों में लगे रहते हैं, इसलिए उनकी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही जरूरी है। इससे जनता को भी यह समझने में आसानी होगी कि जिन दलों को वे वोट दे रहे हैं, उनके अंदरूनी नियम और उद्देश्य क्या हैं।

पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी चिंता: 12 सितंबर को भी सुप्रीम कोर्ट ने अश्विनी उपाध्याय की एक अन्य याचिका पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा था, जिसमें राजनीति में भ्रष्टाचार, जातिवाद, सांप्रदायिकता, अपराधीकरण और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी समस्याओं को रोकने के लिए कदम उठाने की मांग की गई थी।

फर्जी राजनीतिक दलों पर गंभीर आरोप: उपाध्याय की याचिका में कहा गया है कि देश में कई फर्जी राजनीतिक दल सक्रिय हैं, जो लोकतंत्र के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। आरोप है कि ये दल भारी रकम लेकर अपराधियों, अपहरणकर्ताओं, ड्रग तस्करों और मनी लॉन्ड्ररों को अपने संगठन में पदाधिकारी बनाते हैं।

अगली सुनवाई जल्द: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग और केंद्र से जवाब मिलने के बाद इस मामले की अगली सुनवाई तय करने की बात कही है। कोर्ट का कहना है कि राजनीतिक दलों की पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करना लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए जरूरी कदम है।

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