पॉर्न देखने का दोष मढ़कर उगाही कर रहे साइबर ठग, उनके दिये लिंक पर क्लिक किया तो आपका बैंक खाता खाली

यदि आपके पास किसी निर्दिष्ट एजेंसी का नाम लेकर पॉर्न साइट देखने या अन्य वैसा कोई आरोप लगाकर ई-मेल या चिट्ठी भेजी जाए तो भी डरने की कोई वजह नहीं है क्योंकि कोई भी पुलिस या गुप्तचर एजेंसी इस तरह आपको चिट्ठी या ई-मेल नहीं भेजेगी।

By हिमाद्रि सरकार, Posted by डॉ.अभिज्ञात

Oct 12, 2025 15:41 IST

नयी दिल्लीः आप शायद अपने कंप्यूटर या लैपटॉप पर कोई वेबसाइट सर्फ कर रहे हैं। आपने पाया कि अचानक एक पॉप अप आ गया। उसमें लिखा-'ब्राउज़र हैज़ बीन लॉक्ड फॉर वाचिंग पोर्नोग्राफी'। इसके बाद उस पॉप अप पर क्लिक करने पर शायद आपको संदेश मिले कि आपका ब्राउज़र फिर से चालू करने के लिए अमुक राशि का पैसा देना होगा। ऑनलाइन पेमेंट के लिए निर्दिष्ट अकाउंट नंबर भी दिया जा रहा है। उसके बाद आप पैसा दें तभी कथित तौर पर फिर से ब्राउज़र चलेगा।

कई बार ऐसी घटना भी घट रही है कि निर्दिष्ट लिंक पर क्लिक करते ही ग्राहक के बैंक अकाउंट को भी धोखेबाज हैक कर ले रहे हैं और उसके बाद उस अकाउंट को पलक झपकते ही खाली कर दिया जा रहा है। यह तो एक प्रकार की धोखाधड़ी का कारोबार है। उससे थोड़ा हटकर एक अलग किस्म का मोडस ऑपरेंडी इस्तेमाल करके भी साइबर धोखेबाज़ ग्राहकों को ठग रहे हैं।

कुछ महीने पहले केंद्रीय साइबर सुरक्षा संस्था की ओर से एक चेतावनी में कहा गया कि इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (आईफोर्सी) का नाम लेकर कई लोगों के पास ई-मेल मैसेज आ रहे हैं। उसमें लिखा है-संस्था के पास ग्राहक के विरुद्ध पोर्नोग्राफिक साइट सर्च करने और विभिन्न साइबर अपराधों के लिए शिकायत आई है। निर्दिष्ट समय के भीतर इस बारे में पत्र के जरिये ग्राहक को स्पष्टीकरण देना होगा, वरना कानूनी कार्रवाई की जाएगी। ई-मेल के अटैचमेंट में एक चिट्ठी की PDF फाइल होती है। उसमें आईफोर्सी का नाम, लोगो और वहां के अधिकारी के हस्ताक्षर व स्टैंप भी होते हैं।

अब कोई डर कर उस ई-मेल का जवाब देने जाए तो उसे और डराकर साइबर अपराधी पैसा हड़प ले रहे हैं जबकि इन 'शिकार' लोगों में कई ने शायद कोई पोर्नोग्राफिक साइट सर्फ ही नहीं की है। लेकिन उनके डर का सहारा लेकर साइबर अपराधी ठग रहे हैं। सिर्फ आईफोर्सी नहीं, कुछ मामलों में केंद्रीय गृह मंत्रालय या केंद्र के किसी पुलिस अधिकारी का नाम लेकर भी इस प्रकार की चिट्ठी भेजी जा रही है।

साइबर विशेषज्ञ और विभिन्न राज्यों की पुलिस या गुप्तचर एजेंसी का कहना है कि सभी मामलों में अपराधी आमतौर पर धोखाधड़ी के लिए आम लोगों की अज्ञानता, डर या लालच की प्रवृत्ति का फायदा उठाते हैं। इसलिए विशेषज्ञों की सलाह है कि इस प्रकार का कोई पॉप-अप आए तो उस पर क्लिक न करें क्योंकि इन सभी पॉप अप के भीतर कई बार मैलिशियस लिंक भेजे जा रहे हैं। उस पर क्लिक करने पर साइबर अपराधी आपके स्मार्ट गैजेट के सिस्टम को रिमोट एक्सेस के माध्यम से ब्लॉक कर सकते हैं। उसके बाद आप उनकी बात के अनुसार पैसा चुकाने जाएं तो वे बैंक अकाउंट हैक कर सकते हैं।

इस प्रकार का पॉप अप आए तो उस पर क्लिक न करके साइबर विशेषज्ञों की सलाह लेनी होगी और उसका स्क्रीनशॉट लेकर या फोटो खींचकर रखकर शिकायत दर्ज कर सकते हैं ttps://cybercrime.gov.in वेबसाइट पर जाकर।

यदि आपके पास किसी निर्दिष्ट एजेंसी का नाम लेकर पॉर्न साइट देखने या अन्य वैसा कोई आरोप लगाकर ई-मेल या चिट्ठी भेजी जाए तो भी डरने की कोई वजह नहीं है क्योंकि कोई भी पुलिस या गुप्तचर एजेंसी इस तरह आपको चिट्ठी या ई-मेल नहीं भेजेगी। ऐसा कोई ई-मेल या मैसेज आए तो जरूर अपने स्थानीय थाने या संबंधित जिले के साइबर क्राइम थाने या 1930 नंबर पर फोन करके शिकायत दर्ज करें।


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