मुंबईः मुंबई पुलिस ने पिछले सप्ताह अख्तर हुसैनी नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया, जो भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) का फर्जी परिचय देकर देश की संवेदनशील परमाणु जानकारी की तस्करी कर रहा था। पुलिस के अनुसार अभियुक्त के पास विदेशी फंड भी पहुंचता था, जिसकी रकम करोड़ों रुपए में मानी जा रही है।
गिरफ्तारी के समय अख्तर के पास 10 से अधिक नक्शे, परमाणु हथियार और रिएक्टर से जुड़ी संवेदनशील जानकारी जब्त की गई। साथ ही फर्जी पासपोर्ट, आधार और पैन कार्ड तथा बार्क की आईडी भी मिली। झारखंड के जमशेदपुर निवासी अख्तर हुसैनी के कई नामों के पहचान पत्र पाए गए, जैसे अली राजा हुसैनी और अलेक्जेंडर पामर। इसके साथ ही दिल्ली से उसका भाई आदिल हुसैनी भी गिरफ्तार किया गया।
मुंबई पुलिस की एंटी क्राइम ब्रांच के अनुसार, 1995 से हुसैनी भाइयों के पास विदेशी फंड आता रहा है। 2000 तक रकम लाखों में थी, जिसके बाद यह बढ़कर करोड़ों रुपए तक पहुंच गई। पुलिस का दावा है कि यह पैसा बार्क के ब्लूप्रिंट और परमाणु रिएक्टर डिज़ाइन की तस्करी के बदले भेजा गया।
जांच में पता चला है कि अख्तर हुसैनी के नाम से एक बैंक खाता है, जिसमें संदिग्ध लेनदेन हुए हैं। पुलिस इसकी मनी ट्रेल पकड़ने की कोशिश कर रही है। जांचकर्ताओं को संदेह है कि दोनों भाई पाकिस्तान भी गए और वहां की खुफिया एजेंसी से जुड़े हो सकते हैं। इसके अलावा, पुलिस ने बताया कि 1996 में हुसैनी भाइयों ने झारखंड का पैतृक घर बेच दिया था, लेकिन उसी स्थान का इस्तेमाल करके फर्जी पासपोर्ट बनवाया गया।