नई दिल्ली: अपनी भारतीय पत्नी के साथ 25 साल से भारत में रह रहा पाकिस्तानी नागरिक हुसैन अहमद इस समय लाहौर में मुकदमे का सामना कर रहा है। अप्रैल में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने उसे पाकिस्तान लौटने का निर्देश दिया था।
वैध दस्तावेज न होने पर पाकिस्तान में गिरफ्तारीः वाघा बॉर्डर के रास्ते 29 अप्रैल को पाकिस्तान पहुंचे हुसैन अहमद को पाकिस्तानी रेंजर्स ने पहचान को लेकर रोका था। खुद को पाकिस्तानी नागरिक बताने वाले हुसैन के पास न तो वैध पासपोर्ट था और न ही कोई पहचान पत्र। पहचान साबित न कर पाने पर उसे विदेशी अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया और बाद में गिरफ्तार कर लिया गया।
नागरिकता साबित न कर पाने पर जमानत याचिका खारिजः एएनआई समाचार एजेंसी के अनुसार पाकिस्तान में किसी रिश्तेदार या स्थायी पते का प्रमाण न दे पाने वाले हुसैन अहमद की जमानत याचिका अगस्त में लाहौर की मजिस्ट्रेट अदालत ने खारिज कर दी थी। यूएई स्थित पाकिस्तानी हाई कमीशन द्वारा जारी उसका आखिरी पासपोर्ट जुलाई 2000 में बना था, जो अब अमान्य हो चुका है। अवैध रूप से रहने का आरोप लगाते हुए अभियोजन पक्ष ने जमानत का विरोध किया। हुसैन अहमद के खिलाफ अवैध रूप से पाकिस्तान में रहने का आरोप लगाते हुए अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में उसका विरोध किया। सितंबर में सत्र अदालत और फिर 30 सितंबर को लाहौर हाई कोर्ट में दाखिल जमानत याचिकाएं भी खारिज हो गईं।
हाईकोर्ट ने मुकदमा दो महीने में निपटाने का निर्देश दियाः मामले में देरी को देखते हुए लाहौर हाई कोर्ट ने निचली अदालत को दो महीने के भीतर सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया है।