तिरुवनंतपुरम/कोलकाताः ग्यारह देशों की पुलिस को नाकों चने चबवाया था पर्दे के 'डॉन' ने। कुरापति अजय ने उसी प्रकार भारत के 13 राज्यों की पुलिस के छक्के छुड़ा दिए थे! लेकिन अंत में उसे पकड़ना 'मुमकिन' हो गया। 31 वर्षीय अजय को पकड़ने के लिए पुलिस बेताब थी। एक दूसरे के साथ तालमेल रखकर, व्हाट्सऐप ग्रुप बनाकर दिन-रात एक करके 13 राज्यों की पुलिस को पूरे पांच साल लगे इस लुकाछिपी के खेल को खत्म करने में। सॉल्टलेक के एक मामले में शनिवार रात केरल के आलुवा थाना क्षेत्र के एक गेस्ट हाउस से कर्नाटक के इस निवासी को बिधाननगर कमिश्नरेट की पुलिस ने गिरफ्तार किया ।
सिर्फ देशभर में गतिविधियों का जाल फैलाना ही नहीं, अजय का 'मोडस ऑपरेंडी' भी काफी फिल्मी अंदाज का था। एक शहर में चोरी करके दूसरे शहर में जाकर छुप जाता था। बिल्कुल अलग नाम-पहचान लेकर। उसके बाद एक होटल में कमरा बुक करता था। चेक-इन करने के बाद शुरू होता था उसका 'ऑपरेशन'। मेहमानों को गौर से देखकर चुनता था टारगेट। मौका बनाकर उस मेहमान से बातचीत शुरू करता था। अजय का एक बड़ा गुण था, वह बहुत आसानी से लोगों का दिल जीत लेता था। उस क्षमता का फायदा उठाकर रातों-रात टारगेट के करीब पहुंच जाता था।
इसके बाद मौके का इंतजार करता था और अच्छा मौका पाते ही क्रेडिट/डेबिट कार्ड और फोन लेकर फरार हो जाता था। जांचकर्ता बताते हैं कि वह चालाकी से फोन भी हथिया लेता था। चूंकि कार्ड से खरीदारी करने पर मोबाइल में ओटीपी आता है, इसलिए फोन चुराना जरूरी था। इधर एक साथ फोन, कार्ड खोकर धोखाधड़ी का शिकार व्यक्ति जब तक कुछ सोच पाता तब तक अजय तुरंत खरीदारी पूरी कर लेता था। सामान हाथ में आते ही जितनी जल्दी हो सके उसे बेच देता था।
कहानी में ट्विस्ट यहीं है। इस तरह सामान बेचकर हाथ में नकदी आते ही अजय फोन और कार्ड डाक से असली मालिक के पास वापस भेज देता था। जांचकर्ता बताते हैं कि यह वापस करना ही अजय का 'ट्रेड मार्क' बन गया था। पिछली जुलाई में अजय 'साई कृष्णा' के नाम से सॉल्टलेक के एक गेस्ट हाउस में ठहरा था। वहां बिहार के निवासी विनय कुमार से उसने दोस्ती की। दोनों डॉर्मिटरी रूम में रहते थे। विनय की शिकायत है कि 29 जुलाई सुबह साढ़े 11 बजे वह बाथरूम गया तो उसका मोबाइल, वॉलेट और लैपटॉप चुराकर 'साई कृष्णा' भाग गया। जांच में बिधाननगर दक्षिण थाने की पुलिस को पता चल कि विनय के क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करके अजय ने कोलकाता की एक ज्वेलरी शॉप से लगभग 5 लाख रुपए के सोने के गहने और एक इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान से छह आईफोन सहित कुल 7 फोन भी खरीदे थे। एक अकाउंट में 50 हजार रुपए का ट्रांसफर भी किया गया।
इन सबके बाद कुरियर से फोन और क्रेडिट कार्ड शिकायतकर्ता के पास वापस आ गए। पुलिस का दावा है कि अजय खरीदारी किए गए तमाम सामान को ऑनलाइन बेच देता था। बिधाननगर के खुफिया प्रमुख कुलदीप सोनावने के अनुसार अजय पहले एक नकली पहचान पत्र बनाता था और उससे नया सिम कार्ड लेता था। उस सिम कार्ड का इस्तेमाल नए मोबाइल फोन में किया जाता था। नए मोबाइल में नई ईमेल आईडी बनाकर विभिन्न वेबसाइटों से गेस्ट हाउस बुक करता था।
अजय आमतौर पर बड़े शहरों में ही गतिविधियां चलाता था। जांच में पुलिस को पता चला कि कक्षा 12 पास यह युवक एथिकल हैकिंग में भी निपुण है। पहचान छुपाने के बावजूद, पुलिस के पास अजय की तस्वीर थी। इसके अलावा जासूस 50-60 आईएमईआई नंबरों को लगातार ट्रैक करते रहे। इससे पता चला कि एक धोखाधड़ी पीड़ित का नंबर इस्तेमाल करके अजय ने एक अन्य व्यक्ति को धोखा देने में भी सफलता पायी। अंत में यही फोन ट्रैकिंग काम आई। अजय केरल में पकड़ा गया।