नयी दिल्लीः देश में कहीं भी बच्चे सुरक्षित नहीं हैं। इसका मुख्य कारण बच्चों के खिलाफ अपराधों में लगातार वृद्धि है। पिछले बीस वर्षों में इस प्रकार के अपराध लगभग दस गुना बढ़ गए हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) की हालिया रिपोर्ट में 2023 में बच्चों के खिलाफ अपराधों की संख्या 1,77,335 बताई गई है, जो अब तक की सबसे अधिक है। यह जानकारी केवल दर्ज मामलों और शिकायतों के आधार पर प्रकाशित की गई है।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में देश में हर तीन मिनट में बच्चों के खिलाफ एक अपराध हुआ। 2022 की तुलना में अपराध की दर में 9.16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अपराध विशेषज्ञों और बच्चों के साथ काम करने वाली संस्थाओं ने इस पर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि इसके अलावा कई अपराध ऐसे भी हैं जो दर्ज नहीं हुए, और यदि वे दर्ज किए जाएं तो यह संख्या और भी अधिक होगी। एनसीआरबी की जानकारी के अनुसार, 2005 में बच्चों के खिलाफ अपराधों की संख्या लगभग 18,700 थी। 2012-13 से इन अपराधों की संख्या बढ़ी, हालांकि कोविड के समय यह कुछ कम हुई थी। 2023 में यह संख्या बढ़कर 1,77,335 हो गई।
बच्चों के साथ काम करने वाली संस्थाओं के अधिकारियों के अनुसार, बच्चों के खिलाफ हो रहे अधिकांश अपराध लड़कियों के खिलाफ हैं। इनमें सबसे अधिक यौन अपराध शामिल हैं। 2023 में बच्चों के खिलाफ यौन अपराध 70,053 हुए, जो 2022 की तुलना में लगभग 5 प्रतिशत अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में बच्चों के खिलाफ प्रतिदिन औसतन 486 अपराध हुए, जिनमें से 192 यौन अपराध थे। इसके अलावा, बच्चों के खिलाफ अपहरण के मामले भी बढ़े हैं। 2023 में बच्चों के खिलाफ 79,884 अपहरण मामले दर्ज हुए, जो कुल अपराधों का लगभग 45 प्रतिशत हैं। वहीं, पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज मामले 67,694 या लगभग 38.17 प्रतिशत हैं।