एई समय, नई दिल्लीः केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने केंद्रीय एजेंसियों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि जो भारतीय नागरिक विभिन्न आपराधिक मामलों में शामिल होकर विदेश में शरण ले रहे हैं, उन्हें जल्द से जल्द देश वापस लाना होगा। उनके इस निर्देश के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या अब वित्तीय घोटाले के अभियुक्त मेहुल चोकसी, नीरव मोदी, विजय माल्या जैसे प्रभावशाली लोगों को सीबीआई सहित अन्य केंद्रीय एजेंसियां जल्द भारत वापस ला पाएंगी?
2020 से अब तक 137 ऐसे अभियुक्तों को देश वापस लाया जा सका है। इसमें चालू वर्ष में 5 सितंबर तक 27 अभियुक्तों को देश वापस लाया गया है। इसके बावजूद गृह मंत्रालय का मानना है कि अभियुक्तों को देश वापस लाने की यह गति बहुत धीमी है। शाह ने इसी परिप्रेक्ष्य में सीबीआई सहित केंद्रीय एजेंसियों को 'डेडलाइन' देकर प्रत्यर्पण के प्रयासों में आगे बढ़ने का निर्देश दिया है। कहा गया है कि सीबीआई को आईबी (इंटेलिजेंस ब्रांच) और एनआईए (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) के साथ गठजोड़ करके निश्चित एसओपी तैयार कर प्रत्यर्पण अभियान में आगे बढ़ना होगा। सरकारी सूत्रों का दावा है कि हाल ही में खुफिया अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक में शाह ने यह निर्देश दिया है।
महत्वपूर्ण यह है कि विदेश में छिपे हुए भारतीय अभियुक्तों को देश वापस लाने के तीन स्तर हैं। सीबीआई पहले अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन इंटरपोल को संबंधित अभियुक्त के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के लिए लिखित अनुरोध भेजती है क्योंकि, वे ही भारत में इंटरपोल की नोडल एजेंसी हैं।
वह अनुरोध मिलने पर इंटरपोल संबंधित फरार व्यक्ति के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करता है। वह नोटिस दुनिया के 195 देशों (जो इंटरपोल के सदस्य हैं) के साथ साझा किया जाता है ताकि संबंधित व्यक्ति उन देशों में प्रवेश-निकास की कोशिश करते ही पकड़ा जा सके। ऐसा जाना जाता है कि जिस देश में संबंधित व्यक्ति छिपा हुआ है, उस देश की सरकार के साथ भारत सरकार संबंधित व्यक्ति के प्रत्यर्पण पर कूटनीतिक स्तर पर बातचीत शुरू करती है और कानूनी प्रक्रिया भी चलती है। इन स्तरों के सुचारू रूप से पूरा होने पर ही संबंधित अभियुक्त को विदेश से देश वापस लाना संभव होता है।