मुंबईः महाराष्ट्र के शिक्षा क्षेत्र में बड़ा बदलाव आ रहा है। वहां लड़कों और लड़कियों के लिए अब अलग स्कूल नहीं होंगे। अब से लड़के और लड़कियां एक ही स्कूल में पढ़ाई करेंगे। लड़के-लड़कियों के लिए बने अलग-अलग स्कूलों को मिलाकर को-एजुकेशन में पढ़ाई शुरू हो रही है। लिंग भेदभाव दूर करने के लिए ही यह फैसला लिया गया है। यह निर्देश महाराष्ट्र सरकार ने दिए हैं।
बुधवार को यह निर्देश महाराष्ट्र के स्कूल शिक्षा एवं खेल विभाग ने दिए हैं। जानकारी मिली है कि बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देश के आधार पर यह कदम उठाया गया है। इसके कारण 2003 और 2008 में दिए गए निर्देश बदल रहे हैं। बॉम्बे की अदालत ने याचिका संख्या 3773/2000 में स्पष्ट रूप से बताया है कि वहां अब अलग से लड़कियों के स्कूल नहीं चलाए जा सकते। उसके बाद ही यह फैसला लिया गया है।
यह कदम उठाये जाने के सम्बंध में महाराष्ट्र सरकार ने बताया कि इस नीति का लक्ष्य स्कूल में लिंग विभाजन दूर करना है। साथ ही छात्र-छात्राओं का ऐसे माहौल में बड़ा होना सुनिश्चित करना है, जो वास्तविक दुनिया की विविधता को दर्शाता है।
सरकारी बयान में कहा गया है कि को-एजुकेशन छात्रों की शिक्षा और गतिविधियों में भागीदारी बढ़ाता है। इसी कारण समय के साथ तालमेल बिठाने और छोटी उम्र से ही लिंग भेदभाव रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। सरकार की ओर से बताया गया है कि लड़के-लड़कियां एक साथ पढ़ेंगे तो संतुलित तरीके से उनका व्यक्तित्व विकसित होगा।
महाराष्ट्र सरकार मानती है कि को-एजुकेशन में सिर्फ लिंग समानता ही नहीं, बल्कि आपसी सम्मान और संवाद के माध्यम से सामाजिक शिक्षा को भी मजबूत बनाया जा सकेगा। उसके अनुसार यह पढ़ाई छात्रों को स्कूल के बाद के जीवन के लिए तैयार करेगी। यह शिक्षा सहयोग और समावेश व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में काम आएगी।
2024-25 की सरकारी जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र में 1.08 लाख स्कूल हैं। इनमें से सिर्फ लड़कियों के लिए स्कूल 1.54 प्रतिशत हैं और सिर्फ लड़कों के लिए स्कूलों की संख्या 0.74 प्रतिशत है। बाकी सभी स्कूलों में को-एजुकेशन चल रहा है। अब जो स्कूल अलग-अलग चल रहे हैं, उन्हें मिला दिया जाएगा।