पिछले कुछ महीनों में कई बार कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Shashi Tharur) को राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की आलोचना करते हुए सुना गया है। उन्हें कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की तारीफ करते हुए सुना जा चुका है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद से उनकी भाजपा से नजदीकियां बढ़ रही हैं। बात तो यहां तक पहुंच चुकी हैं कि अब उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें तक लगाई जा रही हैं। एक बार फिर से कांग्रेस सांसद शशि थरूर भाजपा की तारीफ करते नजर आ रहे हैं।
एक घटना के आधार पर...
इस बार तिरुवनंतपुरम के कांग्रेस सांसद ने लालकृष्ण आडवाणी की तारीफ की है। भाजपा के दिग्गज नेता को उनके 98वें जन्मदिन की बधाई देते हुए शशि थरूर ने अपने X हैंडल पर लिखा है, 'एक घटना के आधार पर उनका आकलन करना अनुचित है।' अगर आडवाणी के राजनीतिक जीवन के उतार-चढ़ावों की सूची बनाई गयी तो वर्ष 1990 की 'रथ यात्रा' उसमें सबसे ऊपर रहेगी। उन्होंने राम मंदिर निर्माण की मांग पर रथ पर सवार होकर पूरे देश में घूमा था। उसके बाद से ही अयोध्या में कारसेवकों जमा होना शुरू हुए थे। आखिरकार 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहा दी गई जिसके बाद पूरे देश का माहौल गरमा गया।
थरूर ने दी आडवाणी को शुभकामनाएं
भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को उनके जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए शशि थरूर ने लिखा, 'आदरणीय लालकृष्ण आडवाणी जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। जनसेवा के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता, विनम्रता, शालीनता और आधुनिक भारत की दिशा तय करने में उनकी भूमिका निर्विवाद है। वे एक सच्चे राजनेता हैं। उनका जीवन सभी के लिए प्रेरणा से भरा हुआ है।' थरूर के इस पोस्ट के बाद ही बहस छिड़ गयी। कुछ लोगों का आरोप है कि थरूर भाजपा की विभाजनकारी राजनीति के जनक आडवाणी की गतिविधियों को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं।
उठा बाबरी मस्जिद विध्वंस का मुद्दा
सुप्रीम कोर्ट के वकील संजय हेगड़े ने बाबरी मस्जिद विध्वंस का मुद्दा उठाते हुए लिखा, 'देश में नफरत के बीज बोना जनसेवा नहीं है।' इसके तुरंत बाद थरूर के साथ संजय विवादों में उलझ गए। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी का जिक्र करते हुए लिखा कि जैसे नेहरू या इंदिरा को चीन से हार या आपातकाल लगाने के लिए खारिज नहीं किया जा सकता, वैसे ही आडवाणी का मूल्यांकन किसी एक घटना के आधार पर करना उचित नहीं है। इसके लिए एक निष्पक्ष दृष्टिकोण जरूरी है। हालांकि संजय हेगड़े इस दलील मानने को तैयार नहीं थे। उन्होंने तंज कसते हुए, 'रथ यात्रा देश की धर्मनिरपेक्षता की नींव तोड़ने के लिए निकाली गई थी।'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आडवाणी को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। अपने X हैंडल पर उन्होंने लिखा कि देश के लिए उनका योगदान निर्विवाद है। वे आज भी हमें प्रेरित करते रहते हैं। इसके साथ ही पीएम मोदी आडवाणी से मिलने उनके निवास पर भी गए थे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी आडवाणी को उनके जन्म दिवस पर शुभकामनाएं दीं।
गौरतलब है कि लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 1927 में अविभाजित भारत के कराची में हुआ था। विभाजन के बाद वे 1951 में भारत आ गए। आडवाणी ने अपना कॉलेज जीवन मुंबई में बिताया। किशोरावस्था में ही वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए। बाद में उनका राजनीतिक जीवन भाजपा से शुरू हुआ।