नई दिल्ली: देश में भ्रष्टाचार पर निगाह रखने वाली सर्वोच्च संस्था लोकपाल अब खुद सवालों के घेरे में आ गई है। लोकपाल कार्यालय द्वारा सात लक्ज़री BMW 330 एललाई कारों की खरीद के लिए सार्वजनिक निविदा जारी करने के फैसले का कांग्रेस ने कड़ा विरोध जताया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम और सांसद जयराम रमेश ने इसे जनधन की बर्बादी बताया है और लोकपाल की भूमिका पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं।
पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने X पर लिखा, 'जब सुप्रीम कोर्ट के सम्माननीय न्यायाधीशों को सादा सेडान कारें दी जाती हैं तो लोकपाल के चेयरमैन और छह सदस्यों को BMW कारों की क्या आवश्यकता है? ये सार्वजनिक धन से क्यों खरीदी जा रही हैं? उन्होंने यह भी याद दिलाया कि ये संस्था भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए बनाई गई थी, न कि भव्यता दिखाने के लिए।
वहीं, कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने लोकपाल को नया नाम दे दिया-'शॉकपाल'। उन्होंने कहा कि लोकपाल अब लोकपाल नहीं रह गया है। अब यह 'शोकपाल' और 'शॉकपाल' बन गया है। 2012-13 में अण्णा हज़ारे, अरविंद केजरीवाल और आरएसएस ने जिस संस्था के लिए आंदोलन किया था, आज वही संस्था खुद पर सवाल खड़े कर रही है। उन्होंने पूछा कि लोकपाल ने अब तक कौन-कौन से मामलों की जांच शुरू की है? किसे गिरफ्तार किया है? रमेश ने आरोप लगाया कि लोकपाल की कार्रवाई अब तक न के बराबर रही है,और अब BMW खरीद जैसे कदम उसकी साख पर सवाल खड़े करते हैं।
क्या है पूरा मामला?: 16 अक्टूबर को लोकपाल कार्यालय ने सात BMW 330 Li कारों की खरीद के लिए निविदा जारी की थी। ये कारें करीब 60 लाख रुपये प्रति कार यूनिट के हिसाब से बताई जा रही हैं और कुल लागत 5 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है। इस खरीद को लोकपाल के प्रशासनिक और परिवहन तंत्र को सुदृढ़ करने की दिशा में उठाया गया कदम बताया जा रहा है। लोकपाल एक स्वतंत्र संस्था है, जिसे केंद्र सरकार के अधिकारियों, मंत्रियों और सांसदों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करने का अधिकार है। इसे 2013 में संसद द्वारा पारित ‘लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम’ के तहत स्थापित किया गया था। वर्तमान में इसके अध्यक्ष पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस अजय माणिकराव खानविलकर हैं।