बंगाल समेत 12 राज्यों की विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया मंगलवार से शुरू हो रही है। इससे पहले SIR का पहला चरण बिहार में हुआ था। उस समय आधार कार्ड को दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में स्वीकार न करने को लेकर काफी बहस हुई थी। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। क्या चुनाव आयोग बंगाल के SIR के लिए आधार कार्ड को स्वीकार करेगा?
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि आधार कार्ड को केवल पहचान के प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाएगा। हालांकि इसे नागरिकता, जन्मतिथि या निवास के प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
ज्ञानेश कुमार ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आधार का इस्तेमाल कानून के मुताबिक होना चाहिए। आधार एक्ट की धारा 9 में कहा गया है कि आधार जन्मतिथि का प्रमाण नहीं है। इसी को ध्यान में रखते हुए आधार अधिकारियों ने एक अधिसूचना जारी की है और आज भी अगर आप नया आधार डाउनलोड करते हैं तो उस कार्ड पर लिखा होगा कि यह जन्मतिथि, निवास या नागरिकता का प्रमाण नहीं है।"
उन्होंने आगे बताया कि लगभग सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों से चर्चा के बाद 11 वैध दस्तावेजों की सूची तैयार की गई है। आधार को पहचान के प्रमाण के तौर पर 12वें नंबर पर ही रखा गया है। हालांकि ज्ञानेश कुमार ने संकेत दिया कि अगर कोई सुनवाई के दौरान नागरिकता के प्रमाण के तौर पर आधार कार्ड प्रस्तुत करता है तो उस पर भी विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा, "अगर कोई सुनवाई के दौरान नागरिकता के प्रमाण के तौर पर कोई अन्य दस्तावेज पेश करता है तो ईआरओ उस पर विचार करेगा लेकिन दस्तावेजों की सूची लगभग वही रहेगी।"
चुनाव आयोग ने शुरुआत में बिहार एसआईआर के दौरान आधार को वैध पहचान पत्र के रूप में स्वीकार नहीं किया था। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले को चुनौती दिए जाने के बाद न्यायालय ने मामले में हस्तक्षेप किया। उसने चुनाव आयोग को बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण के लिए 12 वैध दस्तावेजों में आधार कार्ड को भी शामिल करने का निर्देश दिया।
अदालत ने पूछा, अगर पासपोर्ट या जन्म प्रमाण पत्र के अलावा 11 में से 9 दस्तावेज नागरिकता का निर्णायक प्रमाण नहीं हैं तो आधार को इस आधार पर क्यों बाहर रखा जाना चाहिए कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है? हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि आधार कार्ड एक पहचान पत्र जरूर है लेकिन यह नागरिकता, जन्मतिथि या स्थायी निवास का निर्णायक प्रमाण नहीं है।
इसके बाद चुनाव आयोग ने कहा कि मतदाता एसआईआर के दौरान पहचान पत्र के रूप में आधार प्रस्तुत कर सकता है। हालांकि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम और आधार अधिनियम के अनुसार उसे नागरिकता, जन्मतिथि और आयु स्थापित करने के लिए आयोग की सूची में से कोई वैकल्पिक दस्तावेज प्रस्तुत करना होगा।