नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के टर्म्स ऑफ़ रेफ़रेंस को मंज़ूरी दे दी गई। यह निर्णय केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के वेतन ढांचे और सेवा शर्तों की समीक्षा और पुनरीक्षण की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, 8वां केंद्रीय वेतन आयोग एक अस्थायी निकाय होगा, जिसमें एक अध्यक्ष, एक पार्ट-टाइम सदस्य और एक सदस्य-सचिव शामिल होंगे। आयोग को अपने गठन की तारीख से 18 महीनों के भीतर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। आवश्यकता पड़ने पर यह आयोग विशिष्ट विषयों पर अंतरिम रिपोर्ट भी दे सकेगा। अपनी सिफारिशें तैयार करते समय आयोग देश की वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों और राजकोषीय विवेक की आवश्यकता को ध्यान में रखेगा।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि सरकार ने जनवरी में ही 8वें वेतन आयोग के गठन की मंज़ूरी दे दी थी और अब बहुत कम समय में आयोग का गठन पूरा हो गया है। यह आयोग यह देखेगा कि विकास कार्यों और जनकल्याण योजनाओं के लिए पर्याप्त पैसे कैसे उपलब्ध कराए जाएं। यह पुरानी पेंशन योजनाओं की लागत और राज्य सरकारों पर पड़ने वाले वित्तीय असर का भी आकलन करेगा क्योंकि राज्य सरकारें भी आम तौर पर केंद्र की सिफारिशों को कुछ बदलावों के साथ अपनाती हैं।
इसके अलावा, आयोग सरकारी उपक्रमों और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के वेतन, भत्तों और काम की परिस्थितियों की भी समीक्षा करेगा। मालूम हो कि केंद्रीय वेतन आयोग समय-समय पर गठित किए जाते हैं ताकि केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के वेतन, सेवानिवृत्ति लाभ और सेवा शर्तों से संबंधित मामलों की समीक्षा कर आवश्यक बदलाव सुझाए जा सकें। आमतौर पर, इन आयोगों की सिफारिशें हर दस साल में एक बार लागू की जाती हैं। 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू की गई थीं, जबकि केंद्र सरकार ने इसके कार्यान्वयन को 29 जून 2016 को मंज़ूरी दी थी। इस प्रवृत्ति के अनुसार, 8वें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होने की संभावना है।