गुवाहाटीः केंद्रीय संचार और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सोमवार को गुवाहाटी में भारत रत्न डॉ. भूपेन हजारिका राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए। यह समारोह भूपेन दा के जन्मशताब्दी वर्ष और भारत की सांस्कृतिक एकता के उत्सव के रूप में मनाया गया।
इन्हें मिला सम्मानः समारोह में पूर्वोत्तर के छह प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों को साहित्य, संगीत, फिल्म, शिक्षा और सांस्कृतिक संरक्षण के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया। पुरस्कार पाने वालों में येशे दोर्जी थोंगची (अरुणाचल प्रदेश), लैश्रम मेमा (मणिपुर), रजनी बसुमतारी (असम), एल. आर. सैलों (मिज़ोरम), डॉ. सूर्य कांत हजारिका (असम) और प्रो. डेविड आर. सियेमलिएह (मेघालय) शामिल हैं।
सिंधिया ने भूपेन दो के बारे में क्या कहा?: सिंधिया ने इस अवसर पर कहा कि भूपेन हजारिका सिर्फ एक कलाकार नहीं, बल्कि सहानुभूति और सांस्कृतिक एकता के एक युग का प्रतीक थे। भूपेन दा के नाम पर दिया गया यह पुरस्कार केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरे भारत की भावनात्मक और सांस्कृतिक विरासत का सम्मान है।
भूपेन हजारिका कौन थे?: भूपेन हजारिका असम के प्रसिद्ध गायक, संगीतकार, कवि और फिल्मकार थे। वे अपनी रचनाओं के माध्यम से मानवता, एकता और सामाजिक संदेशों को सरल भाषा में जनता तक पहुँचाने के लिए जाने जाते थे। भूपेन हज़ारिका ने असम की लोकधुनों को राष्ट्रीय मंच तक पहुँचाया और अपने गीतों में ब्रह्मपुत्र की आत्मा को जीवित रखा। उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
भूपेन हजारिका का कोलकाता से सम्बंधः भूपेन हजारिका का कोलकाता से गहरा और भावनात्मक संबंध था। उन्होंने 1956 में गोल्फ क्लब रोड स्थित 77बी नंबर के मकान में रहना शुरू किया, जो बाद में उनका स्थायी घर बन गया। साठ और सत्तर के दशक में यह घर लता मंगेशकर, मन्ना डे, हेमंत मुखर्जी जैसे दिग्गजों के आने-जाने से सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बन गया। यहीं से हजारिका ने असम और बंगाल के बीच एक अनोखा सांस्कृतिक सेतु तैयार किया।