वायुमंडल को चीरता हुआ लॉन्च हुआ देश का सबसे भारी सैटेलाइट (CMS-03)। भारतीय समयानुसार ISRO ने इसे शाम को 5.26 बजे सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इस सैटेलाइट को LMV-3 रॉकेट पर लॉन्च कर अंतरिक्ष में भेजा गया है। अंतरिक्ष के बारे में जानकारी जुटाने के साथ-साथ यह सैटेलाइट भारतीय नौसेना के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
बताया जाता है कि इस सैटेलाइट को दूसरे लॉन्च पैड से रवाना किया गया जो चेन्नई से करीब 135 किलोमीटर की दूरी पर है। लाइव हिंदुस्तान की मीडिया रिपोर्ट में ISRO के हवाले से बताया गया है कि करीब 16 से 20 मिनट की उड़ान के बाद जब रॉकेट 180 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंच गया, तब सैटेलाइट से अलग हो गया।
क्यों महत्वपूर्ण है सैटेलाइट CMS-03?
मिली जानकारी के अनुसार प्रशांत महासागर में भारतीय नौसेना के नेटवर्क की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी के तौर पर सैटेलाइट CMS-03 काम करेगी। बताया जाता है कि इस सैटेलाइन में सी, एक्सटेंडेड सी और क्यू बैंड समेत मल्टी बैंड पेलोड किया गया है। यह युद्ध जहाज, सबमरीन, विमान और तटवर्तीय कमांड सेंटरों के बीच उच्च क्षमता वाले वॉयस, डाटा और वीडियो ट्रांसमिशन में मददगार साबित होगा।
CMS-03 से बढ़ी हुई कवरेज और बैंडविड्थ मिलेगी, जिससे दूर या प्रतिकूल समुद्री क्षेत्रों में वास्तविक समय पर कनेक्टिविटी संभव होगी। इस सैटेलाइट के माध्यम से खराब मौसम, दूरस्थ स्थानों पर संवेदनशील संदेश भेजना, टेलीमेडिसीन से जुड़े संस्थानों को बिना परेशानी के और सुरक्षित संपर्क को स्थापित करने में मदद मिलेगी। बताया जाता है कि स्ट्रैटेजिक कनेक्टिविटी के लिए भारत को अब विदेशी मंचों पर निर्भर करने की जरूरत नहीं होगी। यह सैटेलाइट 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के तहत देश को आत्मनिर्भर बनाने में बहुत ही महत्वपूर्ण होगा।
बता दें, ISRO ने पहली बार धरती से अंतरिक्ष में 4410 किलोग्राम वजनी सैटेलाइट भेजा है। इससे पहले भारत ने 5,854 किलो वजन का एक सैटेलाइट GSAT-11 भी अंतरिक्ष में भेजा था लेकिन उसे फारसी संस्थान 'एरियनस्पेस' की मदद से भेजा गया था।