दिल्ली में विस्फोट में खुफिया तंत्र की विफलता को प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया

बैठक शुरू होने से पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति ने लाल किले के पास हुई कार विस्फोट की जांच की समीक्षा को लेकर कुछ समय के लिए बैठक की।

By अरिंदम बंद्योपाध्याय, Posted by डॉ.अभिज्ञात

Nov 13, 2025 13:44 IST

नई दिल्ली: 48 घंटे की चुप्पी थी। इस चुप्पी ने ही संशय को जन्म दिया। देश की राजधानी दिल्ली के अत्यंत सुरक्षित क्षेत्र लाल किले के पास सोमवार शाम जो घटना हुई, वह क्या आतंकवादियों द्वारा रखे गए विस्फोटक से भरी कार का धमाका था या किसी सीएनजी सिलेंडर फटने की दुर्घटना। इसको लेकर भ्रम की स्थिति थी। हालांकि बुधवार शाम 5 बजे से लगभग दो घंटे तक चली प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह प्रस्ताव पारित हुआ कि 10 नवम्बर की शाम लाल किले के पास हुआ कार विस्फोट एक आतंकवादी हमला था। सरकारी सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री ने स्वयं इस घटना में खुफिया तंत्र की कमी की ओर इशारा किया।

प्रधानमंत्री के आवास, 7 लोक कल्याण मार्ग पर यह बैठक शाम 7 बजे समाप्त हुई। भूटान से लौटने के कुछ ही घंटों के भीतर मोदी ने यह बैठक की। बैठक शुरू होने से पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति ने भी लाल किले के पास हुए विस्फोट की जांच की समीक्षा को लेकर एक संक्षिप्त बैठक की। सूत्रों के अनुसार घटना के बाद से ही विपक्ष यह आरोप लगा रहा था कि इसमें खुफिया एजेंसियों की विफलता रही और स्वयं प्रधानमंत्री ने भी अप्रत्यक्ष रूप से बैठक में यही स्वीकार किया। सरकारी सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर समय पर सटीक खुफिया जानकारी या इंटेलिजेंस इनपुट मिल जाता तो शायद यह भीषण घटना और इसमें हुई जान-माल की क्षति टाली जा सकती थी। संयोग से उसी दिन गृह मंत्रालय के अधीन संसदीय स्थायी समिति की बैठक में भी तृणमूल कांग्रेस ने लगभग यही बात दोहराई।

सूत्रों का कहना है कि कैबिनेट बैठक से पहले हुई सुरक्षा मामलों की समिति की बैठक में प्रधानमंत्री ने देश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की। खासकर इस बात पर कि लंबे समय बाद राजधानी दिल्ली में आतंकवादियों ने हमला किया। उन्होंने कहा कि वह दिल्ली के विस्फोट को आतंकी साजिश के रूप में देख रहे हैं और भारत इस पर शीघ्र और उचित जवाब देगा। सरकारी सूत्रों ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री ने बैठक में स्पष्ट कहा कि जैसे पहलगाम के वैष्णो देवी मार्ग पर हुए आतंकी हमले का जवाब भारत ने दिया था, वैसे ही दिल्ली धमाके का भी उचित प्रतिकार किया जाएगा। भारत बार-बार कहता रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर अभी समाप्त नहीं हुआ है और देश के भीतर किसी भी प्रकार की आतंकी या विध्वंसक कार्रवाई को भारत राष्ट्र के खिलाफ युद्ध की घोषणा मानेगा।

इसी दिन मोदी सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया, जिसे सुरक्षा विशेषज्ञ खुफिया एजेंसियों की विफलता से जोड़कर देख रहे हैं। रॉ (Research and Analysis Wing) के प्रमुख पराग जैन को बुधवार को कैबिनेट सचिवालय के सचिव (सुरक्षा) का अतिरिक्त प्रभार दिया गया। 1989 बैच के पंजाब कैडर के आईपीएस अधिकारी पराग जैन इस वर्ष 1 जुलाई को रॉ के प्रमुख बने थे। विशेषज्ञों का कहना है कि रॉ प्रमुख बनने के चार महीने के भीतर दिल्ली विस्फोट के दो दिन बाद ही उन्हें यह अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपना इस बात का संकेत है कि सरकार आंतरिक सुरक्षा की खामियों को पाटने के लिए कड़े कदम उठा रही है। इस निर्णय के बाद आईबी (इंटेलिजेंस ब्यूरो) प्रमुख अब कैबिनेट सचिवालय के सचिव पराग जैन को रिपोर्ट करेंगे, जो एक साथ रॉ के प्रमुख भी हैं यानी अब दोनों एजेंसियों का नियंत्रण मूलतः एक ही व्यक्ति के हाथ में होगा। पाकिस्तान और अफगानिस्तान मामलों में गहरी जानकारी रखने वाले पराग जैन के करियर पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का गहरा प्रभाव रहा है।

दिल्ली धमाके के मद्देनज़र तृणमूल कांग्रेस ने बुधवार को गृह मंत्रालय के अधीन संसदीय स्थायी समिति की बैठक में केंद्रीय खुफिया एजेंसियों की विफलता पर कड़ा सवाल उठाया। बंगाल की सत्ताधारी पार्टी पहले ही गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग कर चुकी है। इस बैठक में तृणमूल की सांसद और लोकसभा में डिप्टी लीडर काकली घोष दस्तिदार ने विस्तार से चर्चा की मांग करते हुए कहा कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद पिछले दस वर्षों में पुलवामा, उरी, पहलगाम जैसे हमले हुए और अब देश की राजधानी भी खून से रंगी है।

उनका कहना था कि अगर समय पर एक्शन योग्य खुफिया सूचना (Actionable Intelligence Input) मिल जाती तो इस तरह की आतंकी वारदातें रोकी जा सकती थीं। इसलिए इस खुफिया विफलता की जिम्मेदारी केंद्र सरकार को लेनी चाहिए। संसद सूत्रों के मुताबिक काकली की इस मांग का समर्थन विपक्षी दलों के अन्य सांसदों ने भी किया। लेकिन समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद राधामोहन दास अग्रवाल ने इस मांग को खारिज करते हुए कहा कि बैठक में पूर्व निर्धारित एजेंडा आपदा प्रबंधन पर ही चर्चा होगी। इस पर विपक्षी सांसदों ने विरोध जताया और पूछा कि जब देश की राजधानी के हृदयस्थल में हुए भयानक विस्फोट में 13 लोगों की मौत हो चुकी है तो इस पर चर्चा क्यों नहीं की जा रही। इस मुद्दे पर समिति में सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच तीखी बहस भी हुई।

सरकारी सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों से कहा कि वे अपने-अपने राज्यों से लगातार संपर्क में रहें और इस संकट के समय पूरे देश को एकजुट रहना होगा।

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