देश के उच्च न्यायालयों में 330 न्यायाधीशों की कमी, कोलकाता में 24 पद खाली

कई कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि देश के उच्च न्यायालयों में पर्याप्त संख्या में न्यायाधीशों के न होने के कारण कई मामलों में न्याय चाहने वाले न्याय से वंचित हो रहे हैं।

By अन्वेषा बंद्योपाध्याय, Posted by डॉ.अभिज्ञात

Oct 07, 2025 17:46 IST

नई दिल्ली: अदालतों में जब न्यायाधीश ही नहीं हैं, तो न्याय कैसे मिलेगा? केंद्रीय कानून मंत्रालय के सूत्रों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, देश के विभिन्न हिस्सों के उच्च न्यायालयों में खाली न्यायाधीशों के पदों की संख्या कुल 330 है।

यदि न्याय चाहने वाला व्यक्ति कानूनी रास्ते पर लंबे समय तक समाधान नहीं पाता है तो माना जाता है कि उसके न्याय पाने के अधिकार को ही नकारा जा रहा है। कई कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि देश के उच्च न्यायालयों में पर्याप्त संख्या में न्यायाधीशों के न होने के कारण कई मामलों में न्याय चाहने वाले न्याय से वंचित हो रहे हैं।

केंद्रीय कानून मंत्रालय की जानकारी के अनुसार, सिक्किम और मेघालय उच्च न्यायालय को छोड़कर बाकी सभी उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के रिक्त पद हैं। देश के सभी राज्यों के उच्च न्यायालयों में कुल 1122 न्यायाधीशों की आवश्यकता है। उस जगह पर इस समय कुल 792 न्यायाधीश काम कर रहे हैं।

सबसे खराब स्थिति इलाहाबाद उच्च न्यायालय की है, जहां 76 न्यायाधीशों के पद खाली हैं। कलकत्ता उच्च न्यायालय में 24 न्यायाधीशों के पद खाली हैं। बॉम्बे उच्च न्यायालय में खाली न्यायाधीशों के पद 26 हैं। कानून मंत्रालय के सूत्रों से पता चल रहा है कि इन 330 खाली पदों में से 161 स्थायी पद हैं और बाकी 169 अतिरिक्त न्यायाधीशों के पद हैं। इन अतिरिक्त न्यायाधीशों को अधिकतम दो साल के लिए नियुक्त किया जाता है।

केंद्रीय कानून मंत्रालय से प्राप्त इन आंकड़ों के सामने आने के बाद ही देश के सभी राज्यों के उच्च न्यायालयों में विचाराधीन 67 लाख मामलों के भविष्य को लेकर सवाल उठने लगे हैं। एक तरफ विचाराधीन पुराने मामलों का पहाड़ है, उसके ऊपर हर दिन नए मामलों की संख्या बढ़ रही है। कानूनी विशेषज्ञों का सवाल है, इस स्थिति में जरूरत के मुकाबले कम संख्या में न्यायाधीशों के द्वारा मामलों का तेजी से निपटारा कैसे संभव है?

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एसआर सिंह का कहना है, 'इतने न्यायाधीशों के पद खाली रहने से उच्च न्यायालय में कार्यरत न्यायाधीश अतिरिक्त दबाव में पड़ रहे हैं। यह सही नहीं है। यह कार्यरत न्यायाधीशों की कार्यक्षमता और न्याय की गुणवत्ता पर प्रभाव डाल सकता है।' यानी, इसके परिणामस्वरूप न्याय चाहने वालों को ही नुकसान हो रहा है।

एसआर सिंह का साफ कहना है, 'प्रत्येक उच्च न्यायालय में खाली पड़े न्यायाधीशों के पदों पर जल्द नियुक्ति बहुत जरूरी है।' यही पटना उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश अंजना प्रकाश का भी मानना है। उनका कहना है, ' न्यायाधीशों के खाली पदों पर जल्द नियुक्ति न होने से मुकदमा करने वाले नुकसान उठा रहे हैं। इन रिक्त पदों को भरने का प्रयास तेजी से करना होगा।'

देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में कुल मिलाकर 330 न्यायाधीशों के पद खाली होने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट में कोई न्यायाधीश का पद खाली नहीं है। वहां हालांकि अभी तक निपटारा न हुए मामलों की संख्या लगभग 60 हजार है।

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